वर्षा ऋतु पर निबंध (Rainy Season Essay in Hindi)
वर्ष ऋतु हमारे लिए ढेर सारी खुशियों की बौछार लेके आती है। भारत में वर्षा ऋतु एक बेहद ही महत्वपूर्ण ऋतु है। वर्षा ऋतु आषाढ़, श्रावण तथा भादो मास में मुख्य रूप से होती है। वर्षा ऋतु मुझे बहुत पसंद है। ये भारत के चार ऋतुओं में से मेरी सबसे प्रिय ऋतु है। यह गर्मी के मौसम के बाद आती है, जो साल की सबसे गर्म ऋतु होती है। भयंकर गर्मी, गर्म हवाएँ (लू), और तमाम तरह की चमड़े की दिक्कतों की वजह से मैं गर्मी के मौसम में काफी परेशान हो जाता हूँ। हालाँकि, सभी परेशानियाँ वर्षा ऋतु के आने के साथ ही दूर हो जाती है।
Seasons in India Essay in Hindi | 10 Lines on Rainy Season in Hindi
वर्षा ऋतु पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Rainy Season in Hindi, Varsha Ritu par Nibandh Hindi mein)
वर्षा ऋतु पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).
मनुष्यों के साथ ही साथ पेड़, पौधे, चिड़ियाँ और जानवर सभी उत्सुकता के साथ वर्षा ऋतु का इंतजार करते है और इसके स्वागत के लिये ढेर सारी तैयारियाँ करते है। इस मौसम में सभी को गर्मी से राहत और सुकून मिलता है।
वर्षा ऋतु का आगमन
भारत में वर्षा ऋतु जुलाई महीने में शुरु हो जाती है और सितंबर के आखिर तक रहती है। ये असहनीय गर्मी के बाद सभी के जीवन में उम्मीद और राहत की फुहार लेकर आती है। आकाश बहुत चमकदार, साफ और हल्के नीले रंग का दिखाई पड़ता है और कई बार तो सात रंगों वाला इन्द्रधनुष भी दिखाई देता है। पूरा वातावरण सुंदर और आकर्षक दिखाई देता है। आकाश में सफेद, भूरे और गहरे काले बादल भ्रमण करते दिखाई देते है।
प्रकृति पर वर्षा ऋतु का प्रभाव
सभी पेड़ और पौधे नयी हरी पत्तियों से भर जाते है तथा बगीचें और मैदान सुंदर दिखाई देने वाले हरे मखमल की घासों से ढक जाते है। जल के सभी प्राकृतिक स्रोत जैसे नदियां, तालाबें, गड्ढें आदि पानी से भर जाते है। सड़कें और खेल के मैदान भी पानी से भर जाते है और मिट्टी कीचड़ युक्त हो जाती है।
वर्षा ऋतु की विशेषताएं
वर्षा ऋतु, किसानों के लिये फसलों के लिहाज से बहुत फायदेमंद रहती है। वर्षा ऋतु में जीव जन्तु भी बढ़ने लगते हैं। ये हर एक के लिये शुभ मौसम होता है और सभी इसमें खुशी के साथ ढेर सारी मस्ती करते है। इस मौसम में हम सभी पके हुये आम का लुत्फ उठाते है। वर्षा से फसलों के लिए पानी मिलता है तथा सूखे हुए कुएं, तालाबों तथा नदियों को फिर से भरने का कार्य वर्षा के द्वारा ही किया जाता है।
वर्षा ऋतु में वातावरण शुद्ध और दर्शनीय हो जाता है। प्रकृति फल और फूलों से लद जाती है। हमें वर्षा ऋतु बहुत पसंद आता है।
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निबंध 2 (300 शब्द) – वर्षा ऋतु के फायदे व नुकसान
वर्षा ऋतु में आकाश में बादल छा जाते हैं, वे गरजते हैं और सुंदर लगते हैं। हरियाली से धरती हरी-हरी मखमल सी लगने लगती है। वृक्षों पर नये पत्ते फिर से निकलने लगते हैं। वृक्ष लताएँ मानो हरियाली के स्तम्भ लगते हैं। खेत फूले नहीं समाते, वास्तव में वर्षा ऋतु किसानों के लिये ईश्वर के द्वारा दिया गया एक वरदान है। वर्षा ऋतु में जीव जन्तु भी बढ़ने लगते हैं। ये हर एक के लिये शुभ मौसम होता है और सभी इसमें खुशी के साथ ढेर सारी मस्ती करते है।
वर्षा ऋतु में इंद्रधनुष
भारत में वर्षा ऋतु जुलाई महीने में शुरु हो जाती है और सितंबर के आखिर तक रहता है। ये असहनीय गर्मी के बाद सभी के जीवन में उम्मीद और राहत की फुहार लेकर आता है। इंसानों के साथ ही पेड़, पौधे, चिड़ियाँ और जानवर सभी उत्सुकता के साथ इसका इंतजार करते है और इसके स्वागत के लिये ढेर सारी तैयारियाँ करते है। इस मौसम में सभी को राहत की साँस और सुकून मिलता है।
आकाश बहुत चमकदार, साफ और हल्के नीले रंग का दिखाई पड़ता है और कई बार तो सात रंगों वाला इन्द्रधनुष भी दिखाई देता है। पूरा वातावरण सुंदर और आकर्षक दिखाई देता है। सामान्यतः मैं हरे-भरे पर्यावरण और दूसरी चीजों की तस्वीर लेता हूँ जिससे ये मेरे कैमरे में यादों की तरह रहे। आकाश में सफेद, भूरा और गहरा काला बादल भ्रमण करता दिखाई देता है।
इस मौसम में हम सभी पके हुये आम का लुत्फ़ उठाते है। वर्षा से फसलों के लिए पानी मिलता है तथा सूखे हुए कुएं, तालाबों तथा नदियों को फिर से भरने का कार्य वर्षा के द्वारा ही किया जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है।
संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर
सभी पेड़ और पौधे नयी हरी पत्तियों से भर जाते है तथा उद्यान और मैदान सुंदर दिखाई देने वाले हरे मखमल की घासों से ढक जाते है। जल के सभी प्राकृतिक स्रोत जैसे नदियॉ, तालें, तालाबें, गड्ढें आदि पानी से भर जाता है। सड़कें और खेल का मैदान भी पानी से भर जाता है और मिट्टी कीचड़युक्त हो जाती है। वर्षा ऋतु के ढेर सारे फायदे और नुकसान है।
एक तरफ ये लोगों को गरमी से राहत देती तो दूसरी तरफ इसमें कई सारी संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है। यह किसानों के लिये फसलों के लिहाज से बहुत फायदेमंद रहता है लेकिन यह कई सारी संक्रमित बीमारियों को भी फैलाता है। इससे शरीर की त्वचा को काफी असुविधा होती है। इसके कारण डायरिया, पेचिश, टाईफॉइड और पाचन से संबंधित परेशानियाँ सामने आती है।
वर्षा ऋतु में रोगों के संक्रमण की संभावना अधिक हो जाती है और लोग अधिक बीमार पड़ने लगते है। इसलिए इस ऋतु में लोगों को सावधानी से रहना चाहिए और बारिश का मजा लेना चाहिए और जहां तक हो सके बारिश के पानी को संचित करने का उपाय ढूँढना चाहिए।
निबंध 3 (400 शब्द) – वर्षा ऋतु का महत्व
धरती तप रही थी सूर्य आग उगल रहा था। सारे पेड़ पौधे सुख रहे थे। पक्षी-पशु जल बिना बेहाल थे। हर व्यक्ति उत्तेजना से मानसून की प्रतीक्षा कर रहा था। तभी आश्चर्यजनक रूप से मौसम में बदलाव आया। आकाश बदलो से घिर गया, तेज हवा और गड़गड़ाहट के साथ मध्य वर्षा होने लगी। मिट्टी की सौंधी सुगंध सांसों को महकने लगी। पेड़ पौधों में नया जीवन आ गया।
वर्षा ऋतु हम सभी के लिये प्यारा मौसम होता है। सामान्यतः: ये जुलाई के महीने में आता है और सितंबर के महीने में जाता है। ये प्रचण्ड गर्मी के मौसम के बाद आता है। ये धरती पर मौजूद हर जीव-जन्तु के लिये एक उम्मीद और जीवन लेकर आता है जो सूरज की ताप की वजह से खत्म हो जाता है। यह अपने प्राकृतिक और ठंडे बारिश के पानी की वजह से लोगों को बहुत राहत देता है। गर्मी के कारण जो नदी और तालाब सूख जाते वे फिर से बारिश के पानी से भर जाते है इससे जलचरों को नया जीवन मिल जाता है। यह उद्यानों और मैदानों को उनकी हरियाली वापस देती है। वर्षा हमारे पर्यावरण को एक नयी सुंदरता प्रदान करती है हालाँकि ये दुख की बात है कि ये सिर्फ तीन महीनों के लिये रहती है।
वर्षा ऋतु का सबसे अधिक महत्व किसानों के लिये
आम जन जीवन के अलावा वर्षा ऋतु का सबसे अधिक महत्व किसानों के लिये है क्योंकि खेती के लिये पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती है जिससे फसलों को पानी की कमी न हो। सामान्यतः: किसान कई सारे गड्ढे और तालाब बनाकर रखते है जिससे वर्षा के जल का जरूरत के समय उपयोग कर सकें। वास्तव में वर्षा ऋतु किसानों के लिये ईश्वर के द्वारा दिया गया एक वरदान है। बारिश न होने पर वे इन्द्रराज देव से वर्षा के लिये प्रार्थना करते है और अंततः: उन्हें वर्षा का आशीर्वाद मिल जाता है। आसमान में बादल छाये रहते है क्योंकि आकाश में यहाँ और वहाँ काले, सफेद और भूरे बादल भ्रमण करते रहते है। घूमते बादल अपने साथ पानी लिये रहते है और जब मानसून आता है तो बारिश हो जाती है।
वर्षा ऋतु के आने से पर्यावरण की सुंदरता बढ़ जाती है। मुझे हरियाली बेहद पसंद है। वर्षा ऋतु के पलों का आनन्द लेने के लिये मैं सामान्यतः अपने परिवार के साथ बाहर घूमने जाता हूँ। पिछले साल मैं नैनीताल गया था और वह एक अच्छा अनुभव था। कई पानी से भरे बादल कार में हमारे शरीर पर पड़े और कुछ खिड़की से बाहर निकल गये। बारिश बहुत धीमे हो रही थी और हम सभी इसका आनन्द उठा रहे थे। हम लोगों ने नैनीताल में बोटिंग (नौकायन) का भी आनन्द उठाया। हरियाली से भरा नैनीताल बहुत अद्भुत लग रहा था।
ज्यादा बारिश हमेशा खुशियां ही नहीं लाता कभी-कभी जल प्रलय का कारण भी बन जाता है। कई जगह ज्यादा बारिश होने से गांव डूब जाते है और जन-धन की भी हानि होती है। बहुत ज्यादा बारिश के कारण खेते डूब जाते है फसलें भी नष्ट हो जाती और किसानों को बहुत नुकसान भी होता है।
निबंध 4 (600 शब्द) – वर्षा ऋतु के अगर फायदे हैं तो नुकसान भी है
वर्षा ऋतु को सभी ऋतुओं का रानी कहा जाता है। भारत में चार मुख्य ऋतुओं में वर्षा ऋतु एक है। यह हर साल गरमी के मौसम के बाद जुलाई से शुरु होकर सितंबर तक रहता है। जब मानसून आता है तो आकाश के बादल बरसते है । गर्मी के मौसम में तापमान अधिक होने के कारण पानी के संसाधन जैसे महासागर, नदी आदि वाष्प के रुप में बादल बन जाते है। वाष्प आकाश में इकट्ठा होती है और बादल बन जाते है जो वर्षा ऋतु में चलते है जब मानसून बहता है और बादल आपस में घर्षण करते है। इससे बिजली चमकती और गरजती है और फिर बारिश होती है।
हमारे देश में चार मुख्य ऋतुओं में वर्षा ऋतु एक है। यह ऐसी ऋतु है जो लगभग सभी लोगों की पसंदीदा होती है क्योंकि झुलसा देने वाली गर्मी के बाद ये राहत का एहसास लेकर आती है। वर्षा ऋतु जुलाई से शुरू होती है अर्थात सावन भादों के महीनों में होती है। यह मौसम भारतीय किसानों के लिए बेहद ही हितकारी एवं महत्वपूर्ण है।
कड़कड़ाती गर्मी के बाद जून और जुलाई के महीने में वर्षा ऋतु का आगमन होता है और लोगों को गर्मी से काफी राहत मिलती है। वर्षा ऋतु एक बहुत ही सुहाना ऋतु है। वर्षा ऋतु आते ही लोगों में खासकर के किसानों में खुशियों का संचार हो जाता है। वर्षा ऋतु सिर्फ गर्मी से ही राहत नहीं देता है बल्कि यह खेती के लिए वरदान है। बहुत सारे फसल अच्छी वर्षा पर निर्भर करता है। अगर अच्छी वर्षा नहीं हुई तो ज्यादा उपज नहीं हो पाएगा, जिससे लोगों को सस्ते में अनाज नहीं मिल पाएगा।
वर्षा ऋतु के दोनों पहलू : फायदे और नुकसान
वर्षा ऋतु के अपने फायदे और नुकसान है। बारिश का मौसम सभी को अच्छा लगता है क्योंकि यह सूरज की तपती गर्मी से राहत देता है। यह पर्यावरण से सभी गर्मी को हटा देता है और एक ठंडक एहसास होता है। यह पेड़, पौधे, घास, फसल और सब्जियों आदि को बढ़ने में मदद करता है। यह मौसम सभी जानवरों और पक्षियों को भी बेहद पसंद होता है क्योंकि उन्हें चरने के लिये ढेर सारी घास और पीने के लिये पानी मिल जाता है। और इससे हमें दिन में दो बार गाय और भैंसों का दूध उपलब्ध हो जाता है। सभी प्राकृतिक संसाधन जैसे नदी और तालाब आदि पानी से भर जाते है।
जब बारिश होती है तो सभी सड़कें, उद्यान तथा खेल के मैदान आदि जलमग्न और कीचड़युक्त हो जाते है। इससे हमें रोज खेलने में बाधा उत्पन्न होती है। सूरज की उपयुक्त रोशनी के बिना सब कुछ बदबू करने लगता है। सूरज की रोशनी की कमी की वजह से बड़े स्तर पर संक्रामक बीमारियों (विषाणु, फफूंदी और बैक्टीरिया से होने वाली) के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। वर्षा ऋतु में, भूमि की कीचड़ और संक्रमित वर्षा का पानी धरती के अंदर जाकर पानी के मुख्य स्रोत के साथ में मिलकर पाचन क्रियाओं के तंत्र को बिगाड़ देते है। भारी बारिश के कारण बाढ़ की संभावना भी बनी रहता है।
वर्षा का दृश्य
पृथ्वी को मनोरम और अलौकिक रूप को देखकर बादल भी उसकी ओर आकर्षित होकर प्रेमी नायक की भांति झुकते ही चले आते हैं। और रसमय होकर उसे सरस बना देते हैं। जैसे ही पृथ्वी पर बूँदें पड़ने लगती है वैसे ही पृथ्वी से अद्भुत भीनी-भीनी सुगंध उठने लगती है। वृक्षों में नया जीवन आ जाता है और वे हरे-भरे हो जाते हैं। पक्षी गण कलरव करने लगते हैं। इस प्रकार वर्षा के आगमन से वातावरण ही बदल जाता हैं।
आखिरकार सभी के द्वारा वर्षा ऋतु को बहुत पसंद किया जाता है। हर तरफ हरियाली ही दिखाई देती है। पेड़, पौधे और लताओं में नयी पत्तियाँ आ जाती है। फूल खिलना शुरु हो जाते है। हमें आकाश में इन्द्र धनुष देखने का बेहतरीन मौका मिलता है। इस मौसम में सूरज भी लुका-छिपी खेलता है। मोर और दूसरे पक्षी अपने पंखों को फैलाकर झूमने लगते है। हम सभी वर्षा ऋतु का आनन्द स्कूल और घर दोनों जगह लेते है।
FAQs: Frequently Asked Questions
उत्तर – वर्ष भर में एक बार आने वाली वह ऋतु जिसमें वायुमंडलीय तापमान और आर्द्रता सामान्यतः उच्च रहते हैं, वर्षा ऋतु कहलाती है।
उत्तर – वर्षा ऋतु जून-जुलाई के महीने में आती है।
उत्तर – वर्षा ऋतु में अरहर, चावल, मक्का, मूंगफली, सोयाबीन आदि फसलें बोई जाती हैं।
उत्तर – वर्षा ऋतु में बोई जाने वाली फसलों को खरीफ फसल कहते हैं।
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दोस्तों इस आर्टिकल में हम आपके लिए Rainy Season Essay in Hindi ( Varsha Ritu Par Nibandh ) शेयर कर रहे है, हमने 100 words, 200 words, 250 words, 300 words, 500 words 600 words ke essay लिखे है जो की class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 ke students | Vidyarthi ke liye upyogi hai.
In this article, we are providing information about Rainy Season in Hindi | 4 well written essay on Rainy Season in Hindi Language. वर्षा ऋतु पर पूरी जानकारी जैसे की सामान्य परिचय, प्राकृतिक शोभा, जन-जीवन, लाभ-हानि अदि के बारे बताया गया है।
वर्षा ऋतु पर निबंध | Rainy Season Essay in Hindi
10 Lines Essay on Rainy Season ( 100 words )
1. वर्षा ऋतु का समय मुख्य रूप से श्रावण-भाद्रपद मास में होता है।
2. वर्षा ऋतु के आते ही आकाश में काले-काले मेघ छा जाते हैं।
3. वर्षा के बरसने से वनों और बागों में हरियाली छा जाती है।
4. वर्षा ऋतु किसानों के लिए वरदान है।
5. वर्षा ऋतु से पहले ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी पड़ती है
6. इसी ऋतु में खरीफ की फसल बोई जाती है।
7. वर्षा हमें नव जीवन देती है।
8. अधिक वर्षा से नदियों में बाढ़ आ जाती है।
9. वर्षा ऋतु में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं।
10. वर्षा प्राणि-मात्र के लिए वरदान है।
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वर्षा ऋतु पर निबंध | Short Essay on Rainy Season in Hindi ( 200 words )
गर्मी के बाद वर्षा ऋतु आती है। तेज गर्मी के बाद आसमान बादलों से ढंक जाता है। बिजली चमकने लगती है और बारिश होने लगती है। सभी जीव-जन्तु प्रसन्न हो जाते हैं।
वर्षा ऋतु चार महीने जून से सेप्टेंबर तक रहती है। वर्षा ऋतु में चारों तरफ हरियाली छा जाती है। नदी, नाले पानी से भर जाते हैं। मेंढ़क टर्र-टर्र करने लगते हैं। मोर खुशी से नाचने लगता है।
इस मौसम में लोग छाते, रेनकोट में इधर-उधर जाते नज़र आते हैं। बच्चों को पानी में भीगना और खेलना बहुत अच्छा लगता है। वे कागज की नाव बनाकर पानी में तैराते हैं।
वर्षा ऋतु में सबसे ज्यादा किसान खुश रहता है। वर्षा होते ही वह खेतों में बीज बो देता है। अच्छी वर्षा होती है, तो फसल भी अच्छी होती है।
लेकिन इस ऋतु में कुछ नुकसान भी होता है। तेज वर्षा से बाढ़ आ जाती है। गाँव-नगर पानी में डूब जाते हैं। सामान बह जाता है। अनेक लोग और पशु मर जाते हैं।
लेकिन फिर भी यह मौसम खुशहाली लाता है । इस ऋतु को जीवन देने वाली ऋतु कहते हैं।
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Varsha Ritu Par Nibandh Hindi me ( 300 words )
मनमोहिनी प्रकृति के अनेक रूप हैं। उसके अनेक रूपों में वर्षा ऋतु का रूप विशेष रूप से आनन्ददायक और मन-भावन है। वर्षा ऋतु का आगमन ग्रीष्म ऋतु के अनन्तर होता है।
भारत में वर्षा ऋतु का समय मुख्य रूप से श्रावण-भाद्रपद मास में होता है। यद्यपि वर्षा का आरम्भ आषाढ़ मास में हो जाता है और आश्विन मास तक रहता है। इसी कारण इसे चौमासा भी कहते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने के कारण जो भीषण गर्मी पड़ती है, उसी के कारण जल भाप बनकर आकाश में उड़ जाता है। उसी से बादल बनते हैं; वे बादल ही पानी बरसाते है।
वर्षा ऋतु के आते ही आकाश में काले-काले मेघ छा जाते हैं, शीतल वायु बहने लगती है, बिजली चमकने लगती है और मेघों का गर्जन प्रारम्भ हो जाता है। तदनन्तर झम-झम करके बादल बरसने लगते हैं। वर्षा के बरसने से वनों और बागों में हरियाली छा जाती है। धरती की प्यास बुझ जाती है। नदी-नाले, ताल-तलैया पानी से भर जाते हैं। प्राणि-मात्र आनन्द से भर जाता है। वनों में पपीहा पीहू-पीहू स्वर करने लगता है तो मेघों की काली घटा को देखकर मोर भी नाचने लगते हैं तो मेंढक टर्राने लगते हैं। बागों में वृक्षों पर झूला डालकर उन पर स्त्रियाँ झूलने लगती हैं। बरसात की अंधेरी रात में चमकते जुगनू तारों सी शोभा देते हैं।
वर्षा ऋतु किसानों के लिए वरदान है। वर्षा से खेतों में हरियाली छा जाती है। धान, ज्वार, बाजरा, मक्का और तरह-तरह के दानों के पौधे अन्न से भर जाते हैं। यही अन्न मानवों को नव जीवन देता है।
अत्यधिक वर्षा होने पर जब बाढ़ आती है तो वर्षा ऋतु हानिकारिणी भी बन जाती है; पर जल रूपी जीवन का दान करने के कारण तथा ग्रीष्म की तपन से रक्षा करने के कारण यह वन्दनीय ही है।
Varsha Ritu Nibandh
वर्षा ऋतु पर निबंध | Long Rainy Season Essay in Hindi ( 500 to 600 words )
भूमिका
प्रकृति अपना स्वरूप लगातार बदलती रहती है। कभी बहुत गर्मी पडती है कभी अधिक वर्षा होती है तो कभी अधिक जाड़ा पड़ता है। हमारे देश में चार मौसम और छ: ऋतुएँ होती हैं- बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर। हर ऋतु का समय दो महीने का होता है। हर ऋतु में प्राकृतिक शोभा अलग-अलग होती है। वर्षा ऋतु सावन और भादों में मानी जाती है।
प्राकृतिक अवस्था
वर्षा से पहले ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी पड़ती है, किन्त इस ऋतु के आने के बाद बदलाव आता है। आकाश में बादल उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं। पहले हल्की वर्षा होती है जिसे “दौंगरा” कहते हैं। धीरे-धीरे वर्षा अधिक होने लगती है। प्रायः कई दिनों तक वर्षा होती रहती है। आकाश में बादल छाए रहते हैं जिसके कारण सूर्य का दर्शन नहीं होता है। रह-रह कर बादल दिखाई पड़ता है। खेत, मैदान, बाग-बगीचे हरे-भरे हो जाते हैं। जिसे देखकर सब का मन प्रसन्न हो जाता है। प्रकृति की शोभा बढ़ जाती है। जलाशय पानी से लबालब भर जाते हैं। चारों ओर छातों और बरसातियों की घूम मच जाती है।
जन-जीवन
वर्षा का प्रभाव जन-जीवन पर बहुत पड़ता है। इस समय लोग अधिक प्रसन्न रहते हैं। किसानों के लिए यह ऋतु वरदान है। वे अपने हल-बैल के साथ निकल पड़ते हैं और खेतों की जुताई-बुआई करते हैं। इसी ऋतु में खरीफ की फसल बोई जाती है। अन्य प्राणी भी इस समय आनंदित होते हैं। झींगुरों की झंकार, कोयल की कूक, मेढ़कों की टर्र-टर, मयूर की क्याऊँ-क्याऊँ से वातावरण मुखरित हो जाता है। जन-जीवन में नयापन आ जाता है। लोग तरह-तरह के गीत गाने लगते हैं- जैसे ‘आल्हा, कजली, मल्हार आदि। इस सुखद समय में पेड़ों की डालियों पर लोग झूले डालकर झूलते हैं।
वर्षा में शहरों की अवस्था भिन्न होती है। अधिक वर्षा से सड़कें डूब जाती हैं, आवागमन ठप हो जाता है। जन जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। शहरों के बच्चे वर्षा का आनंद लेने के लिए सड़कों पर निकल आते हैं।
वर्षा ऋतु के लाभ
वर्षा हमें नव जीवन देती है। ग्रीष्म काल की गर्मी से व्याकुल लोगों को इससे राहत मिलती है। हवा में ठंडापन आ जाता है। इस समय थोड़ी बहुत उमस रहती है। हमारा देश कृषि प्रधान है। कृषि पूरी तरह बरसात पर निर्भर है। यदि वर्षा न हो तो खेती का काम होना असम्भव हो जाए। खेत की फसलें सूख जाएँ और लोग भूखों मर जाएँ। वर्षा के कारण खेती होती है, पशुओं को चारा मिलता है। वर्षा के अभाव में बाग-बगीचे उजड़ जाते हैं। सूखा पड़ने से अकाल पड़ जाता है। जिसके कारण जन-धन की बहुत हानि होती है। जल को जीवन कहते हैं। जल की कमी से जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता है।
वर्षा ऋतु की हानियाँ
वर्षा से जहाँ इतने लाभ हैं, वहीं इससे कुछ हानियाँ भी हैं। अधिक वर्षा से नदियों में बाढ़ आ जाती है। बाढ़ की चपेट में अनेक गाँव डूब जाते हैं। इसके कारण पशु बह जाते हैं। कहीं-कहीं जन-धन की भी हानि होती है। बाढ़ से हरी-भरी फसलें तबाह हो जाती हैं। अधिक वर्षा से शहर के लोगों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके कारण गाँवों की दशा अधिक खराब हो जाती है। चारों और कीचड़ और पानी के कारण कहीं आना-जाना कठिन हो जाता है। तालाबों, गड्ढों, पोखरों में भरा जल सड़ने लगता है, जिसमें तरह-तरह के मच्छर पैदा हो जाते हैं। इन मच्छरों के काटने से रोग फैलने लगता है। मलेरिया का प्रकोप इसी मौसम में होता है। साँप, बिच्छु जैसे विषैले जीव वर्षा में अधिक पैदा होते हैं। गाँवों के कच्चे मकान वर्षा में गिर जाते हैं।
उपसंहार
थोड़ी बहुत हानि के बाद भी वर्षा से लाभ अधिक है। हमारी सरकार बाढ़ पर काबू पाने के लिए बाँधों का निर्माण कर रही है, जिससे बाढ़ पर नियंत्रण लग रहा है। इससे बिजली पैदा की जा रही है। नदियों से नहरें निकाल कर सिंचाई की व्यवस्था की जा रही है। हमें वर्षा का स्वागत करना चाहिए। वर्षा ऋतु में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। लोग आनंद से आल्हा और कजली गाते हैं। वर्षा प्राणि-मात्र के लिए वरदान है।
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वर्षा ऋतु पर निबंध – Essay on Rainy Season in Hindi
Essay on Rainy Season in Hindi : दोस्तों आज हमने वर्षा ऋतु पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है.
वर्षा ऋतु जन जीवन का आधार है, इस समय मौसम सुहावना हो जाता है सभी जीव जंतुओं और मनुष्यों का मन प्रफुल्लित हो उठता है. बच्चों को बारिश बहुत अच्छी लगती है इसलिए अक्सर परीक्षाओं में वर्षा ऋतु पर निबंध लिखने को दिया जाता है.
Get Some Essay on Rainy Season in Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 & 12 Students.
Best Essay on Rainy Season in Hindi 100 Words
हमारा देश कृषि आधारित देश है इसलिए आप वर्षा का होना बहुत जरूरी है. बारिश के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है क्योंकि बारिश से ही हमें पीने योग्य अमृत समान जल प्राप्त होता है.
भीषण गर्मी और लू चलने के बाद जब मानसून आता है तो चारों ओर खुशहाली और हरियाली छा जाती है. हर तरफ ठंडी-ठंडी हवाएं चलती है, खेतों में फसल लहरा उठती है, किसानों के चेहरे खिल उठते है, बच्चे भी बारिश और ठंडी हवा का आनंद लेते है.
बारिश का मौसम सबसे सुहाना मौसम होता है यह मौसम मुझे सबसे प्रिय और अच्छा लगता है.
Varsha Ritu Essay in Hindi 250 Words
वर्षा ऋतु हमारे देश में जुलाई माह से प्रारंभ होती है और सितंबर माह तक वर्षा होती है. गर्मियों की झुलसा देने वाली गर्मी के बाद सभी लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार करते है. हमारे देश के किसान तो हर समय आसमान की तरफ टकटकी लगाए देखते रहते है.
वर्षा ऋतु किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है इस समय किसानों खरीफ की फसल बोते है और बारिश आते है फसल लहरा होते है चारों ओर खेतों में हरी भरी फसल लहराते देखकर मन प्रशंसा पूर्वक हर्षा उठता है
गर्मी के कारण सूखे हुए पेड़ पौधे भी नव अंकुरित हो उठते है, सूखी हुई नदियां, तालाब, बावड़िया, बांध पानी से लबालब भर जाते है धरती की प्यास बुझती है और भूजल स्तर ऊंचा उठ जाता है. सभी जीवो को बारिश से राहत की सांस मिलती है.
बारिश के आगमन पर मोर छम-छम करके नाचता है , कोयल मीठी राग सुनाती है, मेंढक टर्र-टर्र करके अपनी खुशी जाहिर करता है. वर्षा ऋतु बहुत ही मनोरम ऋतु होती है इस ऋतु में सभी का मन ऐसा होता है क्योंकि चारों तरफ हरियाली, ठंडी हवा और सुख शांति फैल जाती है.
मानसून के दिनों में आसमान में काले सफेद बादल पानी लेने के लिए दौड़ते नजर आते है, काली घटाओं में बिजली का चमकना बहुत अच्छा लगता है.
गर्मियों के कारण जो बच्चे घर से बाहर निकलना बंद कर देते हैं बारिश के मौसम में वे बाहर निकल कर खूब खेलते नाचते गाते है और बारिश का भरपूर आनंद उठाते है.
बारिश का मौसम पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव को नया जीवन प्रदान करता है इसलिए मुझे वर्षा ऋतु बहुत पसंद है.
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भूमिका –
भारत में मुख्य रूप से वर्षा सावन और भादो माह में होती है यह वह समय होता है जब मानसून सबसे सक्रिय रूप में होता है. ग्रीष्म काल की झुलसाती हुई गर्मी से राहत बारिश के कारण ही मिलती है.
गर्मियों के कारण भारत के प्रत्येक प्रांत का तापमान इतना अधिक बढ़ जाता है कि दिन में बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. हर तरफ पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाती है.
सभी नदी, नालों, तालाबों का पानी सूख जाता है जिसे जीव-जंतुओं का जीवन बहुत कठिन हो जाता है. लेकिन जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है तो चारों तरफ हरियाली ही हरियाली छा जाती है.
ऐसा लगता है मानो बारिश की बूंदों के रूप में धरती पर अमृत की बौछार कर दी गई हो, बारिश के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है.
वर्षा ऋतु का महत्व –
वर्षा ऋतु सभी ऋतु में सबसे अच्छे ऋतु मानी जाती है, जब भी वर्षा आती है तब धरती का कण कण उमंग से प्रफुल्लित हो उठता है. जब धरती पर प्रचंड गर्मी के बाद मानसून की पहली बारिश होती है तो धरती से सोंधी सोंधी खुशबू आती है जिसके आगे दुनिया का सबसे खुशबूदार इत्र भी कम पड़ता है.
हमारा देश गर्म प्रांतीय क्षेत्र में आता है इसलिए यहां पर सबसे अधिक गर्मी पड़ती है, नदियों में पानी का अभाव है इसलिए पानी की उपलब्धता कम है. इसीलिए हमारे देश में वर्षा ऋतु का महत्व और भी बढ़ जाता है वर्षा ऋतु जब भी आती है तो सभी के मन को भा जाती है.
हमारा भारत देश के प्रधान देश है इसलिए यहां पर ज्यादातर खेती ही की जाती है और खेती के लिए पानी की आवश्यकता होती है इस आवश्यकता की पूर्ति सावन और भादो माह में आने वाली बारिश ही करती है. किसानों के लिए तो यह अमृत के समान है क्योंकि उनकी फसल बारिश पर ही निर्भर करती है.
जब बारिश अच्छी होती है तो देश के हर प्रांत में खेतों में फसल लहरा उठती है चारों तरफ हरियाली ही हरियाली छा जाती है ऐसा लगता है मानो धरती ने हरी चुनरी ओढ़ ली हो.
बारिश के कारण सभी नदी नाले और तालाब पानी से लबालब भर जाते हैं जिसके कारण पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं को मीठा जल पीने को मिलता है.
और धरती का भू-जल स्तर भी बढ़ जाता है जिससे गर्मी का प्रकोप कम हो जाता है और चारों तरफ ठंडी ठंडी हवाएं चलती है जो कि प्रत्येक प्राणी की मन को खुशहाली से ओतप्रोत कर देती है.
वर्षा के कारण फसल अच्छी होती है इसलिए सभी को खाने के लिए अनाज मिलता है साथ ही किसानों को इससे अच्छी पूंजी भी मिल जाती है.
जिससे उनका जीवन यापन थोड़ा सरल हो जाता है. बारिश अच्छी होती है तो देश की प्रगति भी तेजी से होती है. वर्तमान में जल की कमी का ज्यादातर भाग मानसून की बारिश से ही पूरा होता है इसलिए बारिश का महत्व हमारे जीवन में अतुल्य है.
निष्कर्ष –
हमारे जीवन में सभी ऋतुओं का महत्व है लेकिन सबसे अधिक महत्व वर्षा ऋतु का है जिसके कारण पृथ्वी की संपूर्ण जीवन प्रणाली चलती है लेकिन कभी-कभी अत्यधिक वर्षा के कारण कुछ हानि भी हो जाती है लेकिन इसके महत्व के आगे यह नगण्य है.
वर्षा हमारी धरती के लिए बहुत आवश्यक है इसलिए में इसके जल को सहेज कर रखना चाहिए और अधिक वर्षा हो इसलिए पेड़ पौधे लगाने चाहिए.
Full Essay on Rainy Season in Hindi
प्रस्तावना –
हमारा भारत देश बहुत सारी विभिन्नताओं वाला देश है इसलिए हमारे देश में ऋतुओं में भी विभिन्नता पाई जाती है. हमारे देश में कुल छ: ऋतुएँ ग्रीष्म, वर्षा, शीत ऋतु, हेमन्त, शिशिर और बसंत है जो कि हर दो महीने के अंतराल में बदल जाती है.
ऋतुओं के नाम के हिसाब से पृथ्वी का वातावरण बदलता रहता है, इन्हीं में से एक वर्षा ऋतु है जोकि संपूर्ण पर्यावरण में जीवन रेखा का काम करती है.
वर्षा ऋतु में बहुत तेज और अधिक बारिश होती है कई बार तो हफ्तों तक लगातार रिमझिम बारिश होती रहती है. वर्षा ऋतु में जुलाई में प्रारंभ होती है और अगस्त माह तक इसका पूरा जोर रहता है.
वर्षा ऋतु का आगमन –
जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है तो चारों तरफ खुशहाली और हरियाली छा जाती है, भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों से जनजीवन को राहत मिलती है. बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी में खुशी की लहर दौड़ जाती है. बारिश के समय बच्चे खूब नहाते और खेलते है अपनी कागज की नाव पानी में तैराते है.
किसान भी समय बहुत खुश होता है क्योंकि उसकी फसल लहरा उठती है. वर्षा के समय सूख चुके जंगल के पेड़ पौधे फिर से नव अंकुरित हो उठते है. सूखी काली पहाड़ियों पर हरियाली की चादर बिछ जाती है हर तरफ रंग बिरंगे फूल दिखाई देते है.
नदियां, ताल तलैया, नाले, बांध इत्यादि सभी पानी से भर जाते है, पूरा वातावरण ठंडा हो जाता है. पशु पक्षियों को खाने के लिए हरी घास और पेड़ पौधे मिल जाते है. वर्षा ऋतु का आगमन पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो के लिए खुशियों की चाबी है.
वर्षा का आगमन सभी को भाता है यह प्रकृति की काया पलट कर रख देता है प्रकृति के सारे रंग हमें बारिश के मौसम में देखने को मिल जाते है यह दृश्य किसी स्वर्ग लोक से कम नहीं होता है.
वर्षा ऋतु के लाभ –
वर्षा ऋतु का लाभ संपूर्ण पर्यावरण को मिलता है बारिश के कारण ही पर्यावरण का पूरा चक्कर चल पाता है इसके मुख्य लाभ हमने नीचे पॉइंट के माध्यम से समझाएं है.
(1) किसानों को –
किसानों के लिए तो वर्षा ऋतु किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि वर्षा ऋतु से पहले किसान अपने खेतों में निराई गुड़ाई और खाद डालकर फसल के लिए तैयार करते है. यह सब इतना आसान नहीं होता क्योंकि उस समय भयंकर गर्मी और लू चलती है.
किसान प्रचंड गर्मी में दिन भर मेहनत करता है और फिर आसमान की तरफ टकटकी लगाए देखता रहता है कि कब बादल आए और बारिश होगी. हमारे देश के ज्यादातर किसान मानसून आधारित बारिश पर ही अपनी फसल बोते है.
इसलिए जब बारिश का मौसम आता है तो किसानों के मुंह की मुस्कान देखते ही बनती है. उनके द्वारा लगाई गई फसल, फल, सब्जियां इत्यादि सभी भरपूर मात्रा में होती है.
(2) पर्यावरण –
हमारी पृथ्वी की पर्यावरण के चक्कर को सुचारू रूप से चलाने के लिए वर्षा ऋतु का अहम महत्व है अगर यह रितु नहीं होगी तो संपूर्ण पर्यावरण तंत्र बिगड़ जाएगा. चारों तरफ पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाएगी फिर पृथ्वी पर जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा.
इसलिए जब बारिश आती है तो जीव जंतुओं के लिए चारे पानी की व्यवस्था हो जाती है और इंसानों के लिए भी पानी और अन्य फसल की व्यवस्था हो जाती है. पृथ्वी का पर्यावरण में फिर से एक बार जान आ जाती है. इसलिए वर्षा ऋतु का हमारे पर्यावरण के लिए अहम महत्व है.
(3) जीव – जंतुओं –
भयंकर गर्मी के कारण सभी पेड़ पौधे और घास सूख जाती है साथ ही पानी के तालाब और नदियां सूख जाती हैं जिससे जीव जंतुओं को खाने के लिए कुछ नहीं मिलता और पीने के लिए पानी भी बहुत कम मिलता है. इसके कारण धीरे-धीरे जीव जंतु और पशु पक्षी पानी और खाने की कमी के कारण मृत्यु के आगोश में चले जाते है.
लेकिन जब वर्षा ऋतु आती है तब फिर से पानी और खाने की कमी दूर हो जाती है इसलिए वर्षा ऋतु जीव जंतुओं के लिए अमृत के समान कार्य करती है.
(4) भू-जल स्तर बढ़ना –
गर्मी और अत्यधिक तापमान के कारण पृथ्वी का जल वाष्प बनकर उड़ जाता है, और मानव द्वारा भूजल का अत्यधिक दोहन करने के कारण भू-जल स्तर कम हो जाता है जिसके कारण पृथ्वी गरम रहती है और हमें स्वस्थ जल पीने को भी नहीं मिलता है.
जब वर्षा ऋतु आती है तब बारिश के कारण ही भू-जल स्तर बढ़ता है जिससे पृथ्वी के तापमान में भी कमी आती है और स्वच्छ जल भी हमें प्राप्त होता है.
(5) व्यापार में तेजी –
हमारा भारत देश कृषि आधारित देश है इसलिए यहां पर ज्यादातर आमदनी कृषि से ही होती है इसलिए जिस साल अच्छी वर्षा नहीं होती उस साल सभी वस्तुओं के दाम बढ़ जाते है और व्यापार धीमी गति से चलता है.
अगर अच्छी बारिश होती है तो किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त होती है और वे बाजार में आकर नई नई वस्तुएं खरीदते हैं जिससे व्यापार तेजी से बढ़ता है.
(6) देश की प्रगति –
हमारे देश आज भी 70% से अधिक आमदनी कृषि से ही होती है इसलिए हमारे देश के ज्यादातर लोग आज भी किसान है. इसलिए जिस वर्ष भी अधिक वर्षा होती है और फसल अच्छी हो जाती है तो हर प्रकार के व्यापार में तेजी देखने को मिलती है.
इस कारण सभी को खर्च करने के लिए पैसे मिल जाते है और सभी लोग नई नई वस्तुएं खरीदते है जिससे देश की प्रगति होने लग जाती है.
वर्षा से हानि –
वर्षा ऋतु से कुछ हानियां भी होती है लेकिन ज्यादातर मानव जनित कार्यों के कारण उनके घातक परिणाम देखने को मिलते है. वर्षा ऋतु से होने वाली कुछ प्रमुख हानियां निम्नलिखित है –
(1) बाढ़ – अत्यधिक बारिश होने के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण फसल जन-धन की हानि होती है. लेकिन बाढ़ भी मानव जनित कार्य से ही आती है क्योंकि मानव द्वारा जंगलों की कटाई कर दी गई है जिससे पानी का बहाव तेजी से होता है.
और जनधन की हानि भी मानव के कारण ही होती है क्योंकि मानव ने अपने रहने का स्थान नदियों के पास बना लिया है और उनके बहने के क्षेत्र को रोक दिया है जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है. अगर मानव अपनी सीमा में रहे तो बाढ़ की स्थिति इतना भयानक रूप नहीं ले सकती है.
(2) मौसमी बीमारियां –
वर्षा ऋतु में मौसमी बीमारियां बहुत अधिक होती है जैसे हैजा, मलेरिया, त्वचा संबंधी रोग, खांसी जुकाम इत्यादि हो जाती है. लेकिन इनमें से ज्यादातर बीमारियां मानव द्वारा फैलाए गए प्रदूषण के कारण ही उत्पन्न होती है. अगर मानव पर्यावरण का ख्याल रखें तो वर्षा ऋतु से बीमारियां नहीं होंगी.
(3) भू-कटाव –
अत्यधिक तेज वर्षा के कारण भूमि का कटाव होने लग जाता है जिसे उपजाऊ मिट्टी बह कर चली जाती है. जो कि पर्यावरण और फसलों के लिए अच्छा नहीं होता है.
भू-कटाव की स्थिति वर्तमान में बहुत अधिक देखने को मिलती है क्योंकि मानव द्वारा अत्यधिक पेड़ों की कटाई कर दी गई है जिससे भूमि का कटाव हो रहा है इसलिए मैं अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे और भू-कटाव को रोकना होगा.
वर्षा ऋतु के त्योहार –
वर्षा ऋतु आने के बाद भारत देश में जैसे त्योहारों की झड़ी लग जाती है, भारत में वर्षा से वैसे ही सभी को खुशी मिलती हैं और पूरा वातावरण ठंडा और मनमोहक हो जाता है इन खुशियों में चार चांद लगाने के लिए भारत देश के लोग त्योहारों का आयोजन करते है.
अगर ऐसा कहा जाए कि भारत में त्योहारों की शुरुआत वर्षा ऋतु से ही प्रारंभ होती है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि ज्यादातर त्यौहार वर्षा ऋतु के बाद ही आते है.
वर्षा ऋतु के बाद प्रमुख रूप से मनाए जाने वाले त्योहार निम्न है – तीज, रक्षाबंधन, गणगौर, दिवाली इत्यादि है.
उपसंहार –
वर्षा ऋतु के कारण संपूर्ण जन जीवन में हर्षोल्लास की लहर दौड़ जाती है, सच में वर्षा ऋतु पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो के प्राण के लिए अमृत का कार्य करती है.
खेतों में लहराती हुई फसल का मनमोहक दृश्य बहुत सुहाना लगता है. चारों तरफ हरियाली ही हरियाली देखकर सबके मन को शांति मिलती है.
चहु और पशु पक्षी अपना नया राग सुनाते है यह वाक्य में ही बहुत मनोरम दृश्य होता है और वर्षा ऋतु के कारण भयंकर गर्मी से जो राहत मिलती है उसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
इसीलिए वर्षा ऋतु सभी ऋतु में सबसे ऊंचा स्थान रखती है. हमें भी वर्षा ऋतु में जल का संग्रह करके वर्षा ऋतु का आदर करना चाहिए.
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7 thoughts on “वर्षा ऋतु पर निबंध – Essay on Rainy Season in Hindi”
वर्षा ऋतु पर निबंध
very good letters
Thank you Arnav for appreciation, keep visiting Hindi yatra.
आप का निबंध हमें बहुत अच्छा लगा।
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अंशिका जी ऐसे ही और रोचक जानकारी लेने के लिए हिंदी यात्रा पर आते रहे धन्यवाद
आपका निबंध बहुत अच्छा लगा । धन्यवाद
करन राणा आप का बहुत बहुत आभार
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Hindi Essay on “The Rainy Season”, “वर्षा ऋतु”, Best Essay, Paragraph for Class 8, 9, 10, 12.
The rainy season.
रूप – रेखा (Outlines)
वर्षा आने से गरमी की समाप्ति , किसानों में उल्लास , आसमान और प्रकृति का सुहावना दृश्य , सावन मास का वर्णन , तालाबों और नदियों का दृश्य , बाढ़ , इस ऋतु में होने वाली बीमारियाँ तथा इनसे बचाव के उपाय , वर्षा ऋतु से लाभ ।
वर्षा ऋतु का आगमन ग्रीष्म ऋतु की समाप्ति पर होता है । जीव-समुदाय को सूर्य देवता के कोप से राहत मिलती है । झुलसे हुए पेड़-पौधों को नवजीवन मिलता है । सरिता और सरोवर फिर से अपने पूरे यौवन में लौट आते हैं । बाग-बगीचों में हरियाली लौट आती है। आसमान में बादलों का समूह उमड़ने-घुमड़ने लगता है। किसान हल-बैल लेकर अपने खेतों की ओर जाते दिखाई देते हैं। चारों ओर का दृश्य बहुत मनमोहक दिखाई देता है।
इस ऋतु में आकाश में बादलों के झुंड नए-नए खेल करते दिखाई देते हैं। बिजली बार-बार चमक उठती है । बादलों के गर्जन से दिल दहल जाता है। सूरज के बादलों में छिपने और निकलने से धूप-छाँव का खेल आरम्भ हो जाता है । कभी आसमान में इन्द्रधनुषी छटा दिखाई देती है तो मन हर्षित हो जाता है । मयूर वन में नृत्य करने लगते हैं । मेढक टर्र-टर्र की रट ऐसे लगाते हैं जैसे वेदों का पाठ कर रहे हैं । बगुलों की पंक्ति पंख फैलाकर चाँदनी-सी तान रहे हैं । झींगुरों की आवाज से रात्रि का सन्नाटा भंग हो रहा है । जुगनू अपने क्षणिक प्रकाश से अंधकार को चुनौती दे रहे हैं । केंचुए, बिच्छू और साँप भूमि पर सैर का आनन्द ले रहे हैं।
सावन की फुहारों का तो कोई मुकाबला ही नहीं है । किसान इन फुहारों का आनन्द लेते हुए खेतों को जोत रहे हैं । रह-रहकर होने वाली बारिश से धान के बीजों को उगने और बढ़ने का पूरा मौका मिलता है। धरती अपने तल में जल के स्तर को फिर से बढ़ा लेती है । शिवभक्तों का दल इन्हीं फुहारों का मजा लेते हुए तीर्थ यात्रा पर निकलता है । सावन की पूर्णिमा के दिन देश भर में रक्षा-बंधन का त्योहार मनाया जाता है । यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम को प्रकट करने हेतु बहुत ही हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है।
वर्षा ऋतु में नदियों और तालाबों का दृश्य बहुत सजीव होता है। नदियाँ अपने पूरे वेग से बहती हैं । नदियों का बढ़ता जलस्तर कभी-कभी तटों को तोड़कर तबाही मचा देता है । बाढ़ का पानी खेतों, गाँवों और शहरों में प्रवेश कर जाता है । मनुष्य, पशु, पक्षी सभी बेहाल हो जाते हैं । जान-माल की भारी क्षति होती है । झोपड़ीनुमा मकान वर्षा की अधिकता से ढह जाते हैं । लोगों का उठना-बैठना, खाना-पीना सब दुश्वार हो जाता है।
वर्षा से मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है । मच्छर मलेरिया, डेंगू आदि बीमारियाँ फैलाते हैं । हवा और पानी के दूषित होने से टायफॉयड, वायरल फीवर, डायरिया आदि रोगों का जन्म होता है । गली-महल्लों में पानी का जमाव और कीचड़ हो जाता है । इसलिए वर्षा ऋतु में साफ जल का ही प्रयोग करना चाहिए । इस ऋतु में खान-पान की शुद्धता पर विशेष ध्यान रखना चाहिए । अपने घर के आस-पास गंदे जल का जमाव नहीं होने देना चाहिए।
कुछ हानियों के बावजूद वर्षा ऋतु की बहुत उपयोगिता है । वर्षा होने से खेती का काम होता है । खेती से हमें खाने की वस्तुएँ मिलती हैं । अच्छी वर्षा से पूरे वर्ष अनाज की कीमतों में अधिक बढ़ोतरी नहीं होती है । बाँधों तालाबों में जल का संचय होता है । इससे मनुष्यों और पशु-पक्षियों का जीवन चलता है । वर्षा से पृथ्वी का कूड़ा-कचरा धुल जाता है । जलवायु स्वच्छ हो जाती है । हमें प्रकृति की देन वर्षा ऋतु का स्वागत करना चाहिए।
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वर्षा ऋतु पर निबंध | Essay On Rainy Season in Hindi | 10 Lines (कक्षा 1 से 10 के लिए निबंध)
वर्षा ऋतु पर निबंध : Essay On Rainy Season in Hindi: भारत में वर्षा ऋतु जुलाई के महीने में शुरू होती है और सितंबर के अंत तक जारी रहती है। असहनीय गर्मी के बाद यह हर किसी के जीवन में एक नई आशा और बड़ी राहत लाता है। पौधे, पेड़, पक्षी, जानवर समेत इंसान भी इस मौसम का बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं और बारिश के मौसम का स्वागत करने के लिए तैयार हो जाते हैं। हर किसी को राहत और आराम की सांस मिलती है। आकाश बहुत चमकीला, साफ और हल्का नीला रंग का दिखता है और कभी-कभी सात रंगों का इंद्र धनुष यानी वर्षा धनुष जैसा दिखता है। संपूर्ण वातावरण अत्यंत आकर्षक एवं सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है। मैं आमतौर पर सभी यादों को अपने कैमरे में कैद करने के लिए हरियाली वाले वातावरण और अन्य चीजों की तस्वीरें लेता हूं। आसमान में सफेद, भूरे और गहरे काले रंग के बादल घुमड़ते नजर आते हैं।
बारिश के मौसम में ज्यादतर छात्रों को इस ऋतु पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है,इसलिए इस लेख के जरिए हम आपको वर्षा ऋतु पर निबंध उपलब्ध करा रहे है जो आप अपने उपयोग में ले सकते हैं। इस लेख में हमने छोटे और बड़े दोनों तरह के निबंध को संकलित किया है जो आप अपनी सुविधा के मद्देनजर इस्तमाल में ले सकते हैं।इस लेख में कई बिंदूओं को जोड़ा है जैसे कि वर्षा ऋतु पर निबंध हिंदी में,वर्षा ऋतु पर पर छोटे तथा बड़े निबंध (Varsha ritu par nibandh in Hindi)वर्षा ऋतु पर निबंध 300 शब्द in hindi | Rainy Season Essay in Hindi, Rainy Season Essay in Hindi | वर्षा ऋतु पर निबंध (600 शब्द),वर्षा ऋतु पर निबंध | essay on varsha ritu in hindi Download PDF,वर्षा ऋतु पर निबंध हिंदी में 10 लाइन | rainy Season essay in hindi 10 lines। इस लेख को अंत तक पढ़े और अपनी सुविधा अनुसार हमारे द्वारा लिखे गए लेख को ज्यादा से ज्यादा इस्तमाल करें।
वर्षा ऋतु पर पर छोटे तथा बड़े निबंध (Varsha ritu par nibandh in Hindi)
“वर्षा ऋतु” को कुछ स्थानों पर “आर्द्र ऋतु” के रूप में भी जाना जाता है, यह वर्ष की वह अवधि है जब क्षेत्र की सबसे अधिक वार्षिक वर्षा होती है। भूमध्य रेखा के दोनों किनारों पर फैले उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उनकी भौगोलिक स्थिति के आधार पर वर्षा ऋतु का अनुभव होता है। आमतौर पर वर्षा ऋतु एक महीने तक जारी रहती है, जबकि कुछ स्थानों पर यह तीन से चार महीने तक भी बनी रह सकती है। भारत में वर्षा ऋतु को दक्षिण पश्चिम ग्रीष्म मानसून कहा जाता है और यह लगभग पूरे देश में होने वाली हल्की से लेकर उच्च वर्षा की चार महीने की अवधि है। भारतीय मानसून की उत्पत्ति दक्षिणी हिंद महासागर में होती है जहाँ भूमध्यरेखीय व्यापारिक हवाओं द्वारा एक उच्च दबाव द्रव्यमान बनता है।
दक्षिण एशिया, जो गर्म जलवायु परिस्थितियों का सामना कर रहा था, परिणामस्वरूप कम दबाव का क्षेत्र विकसित हो रहा है, ये हवाएँ दक्षिण पश्चिम के माध्यम से मुख्य भूमि भारत में नमी ले जाती हैं। भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून दो भागों में आता है – बंगाल की खाड़ी का मानसून और अरब सागर का मानसून।अरब सागर का मानसून पश्चिम भारत में थार रेगिस्तान तक फैला हुआ है, और बाद में बंगाल की खाड़ी के मानसून से भी अधिक मजबूत है। बंगाल की खाड़ी का मानसून भारत के पूर्वी तट से होकर ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और भारत के Ans पूर्व राज्यों से होकर गुजरता है। इसके बाद यह Ans भारत के सिन्धु-गंगा के मैदानों की ओर बढ़ता है।जैसे-जैसे देश में मानसून ठंडा होता जाता है, मानसून समय के साथ कमजोर होता जाता है और यह अगस्त के मध्य में Ans भारत से बाहर निकल जाता है। मॉनसून आम तौर पर 5 अक्टूबर तक मुंबई छोड़ देता है और नवंबर के अंत तक यह भारत से पूरी तरह निकल जाता है।
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वर्षा ऋतु पर निबंध (300 शब्द) | Rainy Season Essay in Hindi
हर वर्ष हमारे वर्षा ऋतु के तीन-चार महीने आनंददायक होते हैं। बारिश और ठंडी हवा से माहौल खुशनुमा हो गया है। मेरा गृहनगर एक मनोरंजक और सुंदर जगह प्रतीत होता है। गर्म, नीरस गर्मी के बाद बरसात का मौसम आता है और मेरे शहर की धूल भरी सूरत को साफ कर देता है। मैं आमतौर पर बारिश की फुहारों का आनंद लेने के लिए छत पर जाता हूं और वहां अपने दोस्तों के साथ बारिश में खेलता हूं। चारों ओर हरियाली है जो देखने में अच्छी लगती है। बारिश की फुहारों के बाद का वातावरण बहुत ताज़ा दिखता है और हर किसी में शांति का संचार करता है। वर्षा ऋतु का आगमन शांति और नवीनीकरण की भावना लाता है। गर्मी के दिनों में हम सभी बारिश का बेसब्री से इंतजार करते हैं। बाहर खेल रहे बच्चे के लिए बरसात का दिन हमेशा रोमांचकारी रहेगा। आकाश में इंद्रधनुष देखना एक और आश्चर्य है।
बरसात का मौसम आने से पहले ही हमारे गांवों में किसान खेतों में अपना काम शुरू कर देते हैं। प्राकृतिक जल स्रोत का उपयोग किसान अपने खेतों को पानी देने और इस मौसम के लिए उपयुक्त विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने के लिए करते हैं। हमारी नदियाँ, नाले और तालाब वर्षा जल से भरे हुए हैं। इसके अतिरिक्त, जैसे-जैसे यह नीचे बसता है, भूजल भंडार बढ़ता जाता है। वर्ष के शेष समय में, इस मीठे पानी के भंडार का उपयोग पीने के पानी के स्रोत के साथ-साथ सिंचाई के लिए भी किया जाता है।
मानसून भारत में दो मार्गों से प्रवेश करता है: Ans पूर्वी राज्यों में बंगाल की खाड़ी के माध्यम से और दक्षिणी राज्य केरल में। मानसून का मौसम देखने वाला पहला भारतीय राज्य केरल है, जो इसके दक्षिणी प्रवेश बिंदु के रूप में कार्य करता है। अरब सागर के ऊपर घने और काले बादलों के माध्यम से, केरल में वर्षा ऋतु के आगमन की आसानी से भविष्यवाणी की जा सकती है। केरल में मानसून का मौसम जून के पहले सप्ताह में शुरू होता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून, जिसे आमतौर पर केरल से गुजरने वाले मानसून के रूप में जाना जाता है, को कृषि क्षेत्र का आर्थिक पूर्वज माना जाता है।सबसे महत्वपूर्ण होने के अलावा, बरसात का मौसम वह मौसम है जिसका लोग हर साल सबसे अधिक इंतजार करते हैं और इसका आनंद लेते हैं। किसान बारिश के मौसम को बहुत महत्व देते हैं, और ऐसा प्रतीत होता है कि हर कोई – बच्चे, किशोर और वरिष्ठ लोग इसे प्राकृतिक दुनिया में आने वाली सुंदरता के लिए समान रूप से पसंद करते हैं।
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Rainy Season Essay in Hindi | वर्षा ऋतु पर निबंध (600 शब्द)
भारत अपने वर्षा ऋतु के लिए जाना जाता है। हमारे देश का अधिकांश भाग उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पड़ता है। इसका मतलब है कि हम उष्णकटिबंधीय मौसम का आनंद लेते हैं जहां दक्षिण-पश्चिमी हवाएं जून से सितंबर तक बादलों को उड़ा ले जाती हैं। मेरे शहर में इस मौसम में मूसलाधार बारिश होती है. भारत में अलग-अलग स्थानों पर इस मौसम का व्यवहार अलग-अलग होता है। राजस्थान में सबसे कम बारिश होती है जबकि मेघालय में हर साल सबसे ज्यादा बारिश होती है। यह सब हमारे देश की स्थलाकृति पर निर्भर करता है। हिमालय पर्वतमालाएँ नमी युक्त हवाओं को रोककर उन्हें बादलों में बदल देती हैं। फिर ये बादल अपना आशीर्वाद बरसाने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों की ओर चले जाते हैं। महासागरों से मानसूनी हवाएँ विभिन्न राज्यों में पहुँचती हैं और अन्य राज्यों पर वर्षा के रूप में भारी मात्रा में पानी बहाती हैं।
वर्षा ऋतु का क्या कारण है?
दुनिया भर में बारिश का मौसम समुद्र और ज़मीन पर वार्षिक तापमान के रुझान में बदलाव के कारण होता है। पृथ्वी के सापेक्ष सूर्य की स्थिति कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच बदलती रहती है।समुद्र के ऊपर सौर तापन से निम्न दबाव वाले क्षेत्रों का निर्माण होता है। इस निम्न दबाव क्षेत्र को अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (आईटीसीजेड) भी कहा जाता है, जो Ans-पूर्व और दक्षिण-पूर्व व्यापारिक हवाओं के अभिसरण का गवाह है। इस अभिसरण के कारण वातावरण में नमी ऊपर उठती है और बादल बनते हैं। जब बादल नमी से भर जाते हैं तो वर्षा होती है। इस ITCZ क्षेत्र के भूमि क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित होने से वहां वर्षा होती है। भारतीय मानसून की घटना के पीछे भी यही घटना है। चरम गर्मी के महीनों यानी मई-जून के दौरान, थार रेगिस्तान और Ans के अन्य हिस्सों के साथ-साथ मध्य भारत भी गर्म हो जाता है। इस ताप से उपमहाद्वीप पर निम्न दबाव क्षेत्र का निर्माण होता है। इसके कारण ITCZ हिंद महासागर से भूमि की ओर स्थानांतरित हो जाता है, जिससे नमी भरी हवाएं तेजी से आगे बढ़ती हैं, जिसके परिणामस्वरूप बारिश होती है।
वर्षा ऋतु के हानिकारक प्रभाव
हालांकि मध्यम बारिश का मौसम आदर्श है, बहुत कम या बहुत अधिक बारिश का प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है। मौसमी वर्षा ऋतु पृथ्वी पर सभी जीवन के लिए आवश्यक है, फिर भी इसके अकाल, सूखा और बाढ़ जैसे नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं। बहुत अधिक बारिश का एक और परिणाम जलभराव भी है। पंपों का उपयोग करके, नगर निगम रुके हुए पानी को साफ़ करता है।
इस तथ्य के बावजूद कि मानसून चिलचिलाती धूप और गर्म, शुष्क मौसम से राहत देता है, यह कई तरह की बीमारियाँ भी लाता है। लगातार भारी बारिश, उमस भरे मौसम और तेज़ हवाओं के परिणामस्वरूप व्यक्तियों में कई संक्रामक बीमारियाँ फैलती हैं। वायरल बुखार, सर्दी, स्वाइन फ्लू और पेट के वायरस कुछ ऐसी सामान्य चिकित्सीय समस्याएं हैं जो बरसात के मौसम में उत्पन्न होती हैं।
वर्षा ऋतु का महत्व
हमारी फसलें वर्षा ऋतु पर बहुत अधिक निर्भर रहती हैं। इसके अतिरिक्त, यह स्थानीय वनस्पति के स्वास्थ्य को बनाए रखता है, जो बदले में आसपास के जानवरों की देखभाल करता है।मानव जीवन को बनाए रखने के लिए ताज़ा पानी आवश्यक है, इसलिए वर्षा ऋतु महत्वपूर्ण है।वर्षा संचयन एक ऐसी विधि है जो लोगों को इस वर्षा जल को संग्रहीत करने की अनुमति देती है। पानी छत से टैंक या कुएं में प्रवेश करता है, पाइप के माध्यम से यात्रा करता है, और वहां एकत्र होता है।जलविद्युत एक स्रोत के रूप में वर्षा जल का उपयोग करके बिजली बनाने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
लगभग हर कोई बरसात के मौसम का आनंद लेता है क्योंकि यह तेज़ गर्मी के बाद आता है। किसी क्षेत्र की वनस्पतियों, वन्य जीवन, कृषि और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए वर्षा का प्राकृतिक संसाधन आवश्यक है।
किसानों के लिए आशीर्वाद
बरसात का मौसम किसानों के लिए भी वरदान है क्योंकि कई फसलें मानसून के दौरान वर्षा की मात्रा पर निर्भर करती हैं। मानसून के आगमन पर बोई जाने वाली फ़सलों को ख़रीफ़ फ़सलें कहा जाता है और इसमें चावल, मक्का, दालें, बाजरा आदि शामिल हैं। इन फ़सलों को एक निश्चित मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, जो केवल बारिश के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। भारत, बांग्लादेश और अन्य जैसे विकासशील देश फसल उत्पादन के लिए काफी हद तक बारिश पर निर्भर हैं।
वर्षा ऋतु एक अत्यंत महत्वपूर्ण ऋतु है, जो जीवन चक्र को जारी रखने के लिए आवश्यक है। यह भूजल भंडार को फिर से भरने और कृषि के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। भारत जैसे कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले देश फसलों और सब्जियों के उत्पादन के लिए मानसून के दौरान होने वाली बारिश पर काफी निर्भर रहते हैं। यह दुनिया का सबसे पसंदीदा मौसम भी है। बच्चे, युवा और वयस्क, सभी इसे प्रकृति की शुद्ध सुंदरता के लिए पसंद करते हैं जो इसे प्रकट करती है।
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वर्षा ऋतु पर निबंध | Essay On Varsha Ritu in Hindi Download PDF
इस पॉइन्ट में हम आपको वर्षा ऋतु पर निबंध Download PDF उपलब्ध करा रहे है जो आप डाउनलोड कर सकते है और कभी भी खुद भी पढ़ सकते है और अपने बच्चों या परिजनों को पढ़ा सकते हैं।
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वर्षा ऋतु पर निबंध हिंदी में 10 लाइन | Rainy Season Essay in Hindi 10 Lines
1) बरसात के मौसम में ठंडी हवा और बारिश की फुहारों के साथ मौसम सुहावना होता है।
2) किसानों के लिए बीज बोने का यह सबसे अच्छा समय है।
3) स्कूल की छुट्टियों के कारण यह बच्चों का पसंदीदा मौसम है।
4) यह मौसम कई जल-जनित बीमारियाँ भी लेकर आता है।
5) इस मौसम में जल निकायों को प्रचुर मात्रा में वर्षा जल प्राप्त होता है।
6) बारिश और बिजली गिरने के कारण लोग घर के अंदर रहना पसंद करते हैं।
7) यह मौसम परिवार के साथ समय बिताने का अवसर प्रदान करता है।
8) लोग मौसम का आनंद लेने के लिए पकोड़े, हलवा और इडली जैसे बहुत सारे व्यंजन पकाते हैं।
9) बरसात का मौसम हमें विभिन्न प्रकार के फल, फूल और सब्जियाँ देता है।
10) गणेश पूजा, रक्षाबंधन, 15 अगस्त आदि त्यौहार इसी मौसम में आते हैं।
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FAQ’s: Essay On Rainy Season in Hindi
Q.बारिश के डर को क्या कहते हैं.
Ans. ओम्ब्रोफोबिया या प्लुविओफोबिया शब्द का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है जो बारिश से डरते हैं।
Q. वर्षा ऋतु का दूसरा नाम क्या है?
Ans. मानसून या गीला मौसम बरसात के मौसम का दूसरा नाम है।
Q.भारत में किस स्थान पर भारी वर्षा होती है?
Ans. मेघालय के खासी हिल्स जिले के एक छोटे से शहर मावसिनराम में भारत में सबसे अधिक वर्षा होती है।
Q.वर्षा ऋतु में हमें कौन से फल मिलते हैं?
Ans. बरसात के मौसम में हमें लीची, जामुन, आलूबुखारा और चेरी मिलती है।
Q.बरसात के मौसम में हम क्या उपयोग करते हैं?
Ans. बारिश के मौसम में हम छाते और रेनकोट का इस्तेमाल करते हैं।
Q.बरसात के मौसम में हम अधिकतर कौन से जीव देखते हैं?
Ans. बरसात के मौसम में मेंढक, घोंघे, स्लग, केंचुए अधिकतर दिखाई देते हैं।
Q.भारत में सर्वाधिक वर्षा किस मानसून के कारण होती है?
Ans. भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून के कारण सर्वाधिक वर्षा होती है।
Q.भारत में सबसे पहले मानसून कहाँ आता है?
Ans. मानसून सबसे पहले केरल में आता है।
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वर्षा ऋतु पर निबंध | essay on rainy season in hindi | बरसात का मौसम पर निबंध
समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com आपको निबंध की श्रृंखला में वर्षा ऋतु पर निबंध | essay on rainy season in hindi | बरसात का मौसम पर निबंध प्रस्तुत करता है।
इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम
(1) बरसात पर निबंध (2) वर्षा वैभव पर निबंध (3) वर्षा वर्णन पर निबंध (4) बरसात का दृश्य पर निबंध
पहले जान लेते है वर्षा ऋतु पर निबंध | essay on rainy season in hindi | बरसात का मौसम पर निबंध की रूपरेखा ।
निबंध की रूपरेखा
(1) प्रस्तावना (2) वर्षा का आगमन (3) वर्षा के विविध हृदय (4) एक दिन की घटना (5) उपसंहार
भारतवर्ष प्रकृति की रमणीय क्रीड़ास्थली है। प्रकृति के जैसे मनोरम दृश्य भारत में देखने को मिलते हैं, वे संसार के किसी अन्य देश में दुर्लभ हैं ।
यहाँ छः ऋतुएँ क्रमशः आती और जाती है, जबकि संसार के अन्य किसी भी देश में छः ऋतुएँ नहीं होती हैं। इन छः ऋतुओं में वर्षा ऋतु अपना विशेष स्थान रखती है।
दिनकर जी के शब्दों में-
“है बसन्त ऋतुओं का राजा। वर्षा ऋतुओं की रानी॥”
वर्षा का आगमन
जेठ का महीना बीत रहा था। ग्रीष्म ऋतु अपने पूर्ण उत्कर्ष पर थी। जेठ की दोपहरी ऐसी तपती थी कि संसार के सभी जीव-जन्तु वृक्षों की छाया में हॉपते हुए समय काटते थे।
मनुष्य लूओं से बचने के लिए कहीं अँधेरे घरों में छिप जाना चाहते थे। धीरे-धीरे आया आषाढ़ का पहला दिन, आकाश में बादल दिखाई दिया। यह वही दिन था जिस दिन कालिदास के प्रिया-विरह से संतप्त यक्ष ने मेघ को अपना दूत बनाया था।
धीरे-धीरे आकाश बादलों से ढक गया। किसानों की जान में जान आ गयी। बादलों को देखकर उनकी आँखें ठंडी होने लगी। एक-दो दिन तक बादल जमते गये।
आखिर बादलों ने धरती की प्यास बुझाई। संसार को चैन मिला। चींटी से लेकर हाथी तक, जड़ से लेकर चेतन तक सभी प्राणियों और वनस्पतियों में नवजीवन का संचार हो गया। चारों ओर हर्षोल्लास छा गया।
वर्षा के विविध दृश्य
वर्षा के विविध दृश्य भी कैसे विचित्र होते हैं? आकाश बादलों से ढका रहता है। कभी-कभी तो कई-कई दिन तक सूर्य के दर्शन नहीं होते। शस्यश्यामला धरती का सौन्दर्य देखते ही बनता है।
वादलों को देखकर वन-उपवन में मोर आनन्दमग्न होकर नाचते हैं। नदी-नालों में उफान आ जाता है। पोखर और सरोवर का पानी सीमा लॉघ जाता है।
नदियाँ जल से तटों को डुबाकर घमंड से इतराने लगती हैं। सब ओर पानी ही पानी दिखाई देता है। मेंढकों की टर्र-टर्र और झींगुरों की झनकार एक विचित्र समा बाँध देती है।
एक दिन की घटना
वर्षा ऋतु अपने चरम उत्कर्ष पर थी। एक दिन एक विचित्र दृश्य उपस्थित हुआ। यह था-श्रावण का एक दिन! आकाश बादलों से ढका हुआ था।
रात बीती, प्रभात हुआ। सूर्य के तो कई दिनों से दर्शन न हुए थे। प्रभात हो जाने पर भी अंधेरा बढ़ता चला आ रहा था। घड़ी साढ़े छः बजा रही थी। हम लोग स्कूल जाने की तैयारी में थे कि अचानक वर्षा आरम्भ हो गयी।
मूसलाधार वर्षा, रुकने का नाम नहीं। थोड़ी देर में सब ओर पानी ही पानी हो गया। गलियों और सड़कों पर पानी की नदियाँ सी बह रही थीं। कुछ देर बाद तो हमारे घर में में भी पानी।
सारे मुहल्ले में शोर मचा था। लगता था जैसे प्रलय आ जायेगी। तीन घंटे की लगातार वर्षा ने सब ओर त्राहि-त्राहि मचा दी। उस दिन स्कूल जाने की किसी में हिम्मत न थी।
सुबह को जलपान हुआ था तत्पश्चात पोखर की तरह जलपूर्ण रसोई में भोजन बनने का प्रश्न ही नही था। उस दिन लाचारी का व्रत हुआ। दिनभर घरों का पानी उलीचते रहे, घरों की सफाई करते रहे ।
हाँ, वर्षा रुकने पर हम लोग घर से बाहर निकले और पानी में छप-छप करते फिरे । बाग में गये, आमों के ढेर लगे थे। खूब छक कर आम खाये। तीसरे पहर घर लौट कर आये।
उस समय पानी साफ हो गया था। धूप निकल आयी थी। भोजन तैयार था और मम्मी-पापा मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे। सबने भोजन किया। धीरे-धीरे सूर्य अस्ताचल पर पहुँच गया।
इस प्रकार यह बरसात का दिन बीता। आज भी वह दिन मुझे जब याद आता है, देर तक सोचता रहता हूँ।
वर्षा भारत के लिए वरदान बनकर आती है। कभी-कभी बाढ़ और तूफानों से यह प्रलय का दृश्य भी उपस्थित कर देती है।
प्रायः धन-जन की भी क्षति हो जाती है, तथापि वर्षा के द्वारा ही उस विनाश की क्षतिपूर्ति भी हो जाती है।
वर्षा अन्न और जल देने वाली शक्ति है। यह जीवनदायिनी सुन्दर ऋतु है।
यही मानव जीवन का आधार है। इसके आते ही बच्चे गा उठते हैं-
“जीवन-धन-सुखदाई लाई। वर्षा आई, वर्षा आई ॥ पशु-पक्षी मानव हरषाने। जड़-चेतन की प्यास बुझाने ॥ सघन घटाएँ संग में लाई। बर्षा आई, वर्षा आई॥”
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वर्षा ऋतु पर निबंध Long Essay On Rainy Season In Hindi
Long Essay On Rainy Season In Hindi वर्षा ऋतु पर निबंध : प्रिय विद्यार्थियों आज हम यहाँ पर varsha ritu par nibandh आपके साथ साझा कर रहे हैं.
कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए वर्षा पर छोटा बड़ा निबंध यहाँ विभिन्न शब्द सीमा जैसे 100, 200, 300, 400 और 500 शब्दों में पढेगे.
वर्षा ऋतु पर निबंध Essay On Rainy Season In Hindi
गर्मी के मौसम की तपन की झुलस के बाद समूची पृथ्वी और उस पर बसने वाले प्राणी बेहाल हो उठते हैं. मानव समेत समस्त जीव प्रजाति सूर्य की इस तपिश और लू से बेहद व्याकुल हो जाती हैं.
जल के स्रोत सूख जाते हैं वनस्पति झुलस जाती हैं और कई भागों में लोग दो बूंद जल के लिए तरस जाते हैं. जीवन में नीरसता घर कर जाती हैं.
जीवन के लिए एक गम्भीर संकट की स्थिति में कुदरत ने ऋतु चक्र को इस प्रकार बनाया हैं कि मेघा की ठंडी बौछारों के साथ सम्पूर्ण प्रकृति में नवजीवन का संचार हो जाता हैं.
वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शीत, शिशिर और हेमंत ये छः ऋतुएँ भारत में बारी बारी से आकर जीवन में परिवर्तन को बनाए रखती हैं.
जेठ आषाढ़ की तेज तपन के बाद मन भावन सावन से ही वर्षा ऋतु का आरम्भ हो जाता हैं जो भादों की घनघौर घटाओं तक समस्त जगत की प्यास को तृप्त कर देता हैं. अंग्रेजी माह के अनुसार जून से लेकर सितम्बर तक इन चार महीनों में वर्षा ऋतु होती हैं.
हम सभी जानते हैं कि हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर साढ़े छियासठ डिग्री के झुकाव पर घुमती हैं वह सूर्य के चारों और परिक्रमा करती हैं जिनसे ऋतु परिवर्तन होता हैं.
जब सूर्य और पृथ्वी के मध्य की दूरी सबसे अधिक हो एवं किरने सीधी पड़े तब ग्रीष्म ऋतु होती हैं, जबकि पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य की दूरी मध्यम हो और किरने सीधी न पड़कर तिरछी पड़े तब वर्षा ऋतु का आग-मन होता हैं.
प्रकृति के नियम इस प्रकार बने है कि जिन पर एक दूसरी ऋतुएँ पूर्ण रूप से निर्भर करती हैं. गर्मी के मौसम में नदी, समुद्र, झील सभी जल स्रोतों का पानी तेज गर्मी के कारण भाप बनकर उड़ जाता हैं.
यह जलवाष्प उपर जाकर ठंडी होने के बाद बादलों का रूप धारण कर लेती हैं ये ही जल की बुँदे गिरकर वर्षा के रूप में हमारे नवीन जीवन का संचार करती हैं.
जून के अंतिम सप्ताह तक भारत में अरब सागर व हिन्दी महासागर से मानसूनी पवनें आनी आरम्भ हो जाती हैं, जिन्हें हम मानसून भी कहते हैं. भारतीय उपमहाद्वीप के सभी देशों में इन्ही पश्चिमी विक्षोभ से वर्षा होती हैं.
तेज गर्मी के बाद मानसून की वर्षा से वातावरण की गर्मी पूर्ण रूप से खत्म हो जाती हैं खाली पड़े जलाशय लबालब भर जाते है. चारों ओर मनभावन हरियाली का नजारा सभी के मन को प्रफुल्लित करता हैं.
हमारे देश में अधिकतर कृषि वर्षा ऋतु के आगमन पर ही बोई जाती हैंकिसानों को नई फसल बोने के लिए वर्षा का सबसे अधिक इंतजार होता हैं.
इंद्र देव भी प्राणियों की पुकार पर खूब आशीष रुपी वर्षा जल बहाते हैं. बारिश से पुरे जीव जगत में खुशहाली और हरियाली के गीत हर ओर गूंजते हैं.
सभी ऋतुओं की रानी की संज्ञा वर्षा ऋतु को दी जाती हैं. क्योंकि वर्षा के आगमन से प्रकृति दुल्हन की तरह सज संवर जाती हैं तथा अपने प्राकृतिक सौन्दर्य में बेजोड़ नजर आती हैं.
पृथ्वी की सतह मानों हरी चादर ने ढक ली हैं. बच्चें गलियों में कीचड़ सने पैरों से खुशियों से झूम रहे हैं बरसात के जमा पानी में उनके सपनों की नावें कुचाले मार रही होती हैं. एक तरह से वर्षा से सभी को ख़ुशी मिलती हैं.
दुनियां के सभी भाषाओं के कवियों ने वर्षा ऋतु, बादल और प्राकृतिक छटा को अपनी लेखनी में अलग अलग ढंग से प्रस्तुत किया हैं.
हमारे संस्कृत के महान कवि कालिदास ने तो बादलों पर मेघदूत नामक पूरा ग्रंथ लिख डाला हैं. इस ऋतु में मोर पपैया, मेढक की टर्र टर्र दिलो को सुकून देने वाली होती हैं.
वर्षा हमारे लिए पीने का स्वच्छ जल उपलब्ध करवाती हैं जिन्हें साल भर उपयोग करने के लिए हम विभिन्न स्रोतों में जमा कर रख लेते हैं इन्हें जल संग्रहण भी कहते हैं.
हमारी कृषि तथा भूतल के जल भराव इसी मौसम में होता हैं. तेज घनघौर वर्षा न केवल जल संकट को दूर करती हैं बल्कि हमारे वातावरण में व्याप्त कूड़े करकट व गंदगी को भी बहाकर स्वच्छ माहौल हमें दे देती हैं.
इस लिहाज से वर्षा ऋतु के अनेक फायदे है जिस कारण यह मेरी प्रिय ऋतु भी हैं. वही दूसरी तरह यह अपने साथ कई समस्याएँ भी लेकर आती हैं. तेज वर्षा से अतिवृष्टि जिनमें हजारों लोगों के घर बह जाते हैं जान माल की हानि हो जाती है.
वर्षा जल के भराव के कारण मलेरिया व डेंगू के मच्छर भी पैदा हो जाते हैं. आकाशीय बिजली तथा नदियों की बाढ़ कई बार व्यापक नुकसान का कारण भी बनती हैं. आवश्यकता इस बात की है कि हम वर्षा ऋतु के दौरान कुछ सावधानियाँ बरते तो इस मौसम का पूर्ण लुफ्त उठा सकते हैं.
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rainy season essay in hindi। वर्षा ऋतु पर हिंदी निबंध
वर्षा ऋतू जिस ऋतू में पृथ्वी पे आकाश से जल बरसता है। यह जल पृथ्वी के जीवन चक्र में बहुत सहायक है। आज हम आपके लिए इस पोस्ट में rainy season essay in hindi ले कर आये है । वर्षा ऋतू पर निबंध को आप स्कूल और कॉलेज में इस्तेमाल कर सकते है । इस हिंदी निबंध को आप essay on rainy season in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।
रैनी जिसे हम हिंदी में बरसात का मौसम या वर्षा ऋतु बोलते है। हम सभी इस मौसम से भली भांति वाकिफ है। यह मौसम की अलग ही पहचान है।बरसात हम सभी के जीवन मे उमंग उल्लास का भाव लाती है। बरसात में अलग अलग स्थानो पर अलग अलग समय बारिश होती है। कभी यह बारिश हल्की बूंदाबांदी के रूप में होती है। तो तभी तेज़ व ज़ोरदार होती है। बरसात के मौसम कि अलग ही पहचान होती है। अन्य किसी भी मौसम में से बरसात सबसे मनमोहक साबित होता है। सर्दी के मौसम में कड़ाके की ठंड होती है। गर्मी के मौसम में मनुष्य गर्मी का एहसास करता है। यह दोनों मौसम एक दूसरे के विपरीत है। परंतु बरसात में वातावण मनमोहक व शीतल होता है। जो हर किसी को बहुत पसंद आता है। बच्चों को , युवाओं को , बुज़ुर्गों को व हर उम्र के व्यक्ति को यह मौसम भांता है। एक शानदार लाइन है अंग्रेज़ी में, ” दिल गार्डन गार्डन हो गया ” ठीक इसी प्रकार का अनुभव इस मौसम में होता है।
प्रस्ताव ना – बरसात का मौसम गर्मी के बाद आता है। इसे मानसून भी बोला जाता है। इस शब्द का प्रथम प्रयोग ब्रिटिश भारत में (वर्तमान भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) एवं पड़ोसी देशों के संदर्भ में किया गया था। मानसून को पावस भी बोला जाता है। मानसून दरअसल हिंदमहासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है। देश मे व दुनिया में अलग अलग समय अलग अलग जगह बारिश होती है। बारिश का होना मौसम के अलावा हवाओं पर भी निर्भर करता है। बे ऑफ बेंगोल व अन्य सागर में हाई व लौ प्रेशर के कारण भी बारिश देखी जाती है। इसी वजह से हवा में नमी पैदा होती है। जब गर्म नम हवा, ठंडे और उच्च दबाव वाले वातावरण के संपर्क में आती है तब बारिश होती है. गर्म हवा अपने अंदर ठंडी हवा से ज्यादा पानी जमा कर सकती है। बारिश होने वातावरण पर निर्भर करता है। हर वर्ष जून से सितंबर में वर्षा का मौसम देखा जाता है। बारिश में एक और प्रकार देखा गया है। जिसे हम मूसलाधार बारिश के नाम से जानते है। यह स्वाभाविक नही होती। इसको प्राकृतिक आपदा भी बोल सकते है।
वर्ष ा ऋतु का प्राकृतिक सौन्दर्य – बरसात में वातावरण की मधुरता का अंदाज़ा हम सभी लगा सकते है। हम सभी जानते है कि वातावरण मंत्रमुग्ध करने वाला प्रतीत होता है। इस वक़्त वातावरण अपने सुनहरे रूप में दिखाई देता है। साथ ही इसकी सुंदरता उमड़ कर सामने आती है। वातावरण की खूबसूरती, पेड़ पौधे हरे भरे और खिलखिलाए लगते है। किसी अन्य मौसम में यह पौधे जो मुरझाए से लगते हैं वह वर्षा में अपना सौंदर्य बिखेरते है। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो वह खिलखिलाते हुए अपने पसंदीदा मौसम की सराहना कर रहे हो। छोटी छोटी बन्धें जब धरती पर आती है तो धरती पर रहने वाले हर जीव को लाभान्वित करती है। जानवरों को पानी देती है जानवरों को खुश करती है। वे भी इस मौसम में खुशहाली का आनंद लेते नज़र आते है।जब छोटे- बढ़े तालाबों में पानी भरता है तब नदी में व तालाब में रहने वाले जीव खिलखिला उठते है। उनकी बढ़ती गतिविधियां इस मौसम में सबसे ज़्यादा देखी जाती है। जानवरो व पेड़ पौधों के लिए ये मौसम जिस प्रकार उनकी पसंद का मौसम है वैसे ही मनुष्य के लिए भी यह मौसम सौंदर्य का प्रतीक है।जब वर्षा में पानी से यह धरती की मट्टी गीली हो जाती है तब वो मट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू सभी को बेहद पसंद आती है। प्रकृति का सौंदर्य इस वक़्त चरम पर होता है। सभी लोग अपने घरों की खिड़कियों से इस मौसम का आनंद लेते है। इन सभी के बीच एक और विशेषता है जिसको जाने बिना बरसात का मौसम मानो अधूरा सा है। एक अनमोल कड़ी जो इस मौसम से अपने दिलो जान से जुड़ी है वह है छोटे छोटे बच्चे। बच्चों के लिए ये मौसम उनकी क्रीड़ा का साधन है। जब इस मौसम में आस पास पानी भरा जाता है जब बच्चे कागज़ की नौका बनाते है। फिर उस कागज़ की नौका को पानी मे तैराते है। इस तरह से बच्चों में प्रतियोगिता बढ़ जाती है।बच्चे एक दूसरे से होड़ करते है कि किसकी नौका ज़्यादा आगे तक जाएगी। आप सभी ने भी बचपन मे यह अनुभव ज़रूर किया होगा। माता पिता बच्चों को प्रोत्साहित करते है। वे भी उनके खेल में शामिल होते है। बारिश का आनंद लेने कई बार बच्चे अपने घरों की छत पर आकर बारिश में खूब भीगते हैं। वे जी भरके खेलते है।धीरे धीरे ये मौसम सितंबर के अंत तक चला जाता है। बच्चे बस अपनी क्रीड़ा के लिए वर्षा के मौसम का बेसब्री इंतज़ार करते है। इस मौसम में मोर भी खिलखिलाए दिखाई देते है। वे अपने पंखों को फैलाये नृत्य करते हुए बेहद मनमोहक लगते है। इस मौसम का सौंदर्य भाव विभोर करता है।
वर्षा ऋतु के फायदे- हर मौसम की अपनी विशेषताएं होती है। बरसात के मौसम से भी हम सभी को बहुत सारे फायदे होते है। बरसात के मौसम से कृषि क्षेत्र में जम कर उछाल आता है। इस वक़्त प्रकृति ही सिचाई का कार्य कर देती है। जिससे किसानों को काफी फायदा होता है। उनका समय बचता है। उन्हें इस मौसम में खेती करने में आसानी होती है।वर्षा के कारण उनके खेत की मिट्टी भी हर जगह से गीली हो जाती है। इससे जमीन ज़्यादा मात्रा व अच्छी मात्रा में अनाज देती हैं। किसानों के लिए भी ये मौसम लाभदायक होता है। इसके बाद कई सारे अन्य फायदे भी होते है। हम सभी जानते है कि ऐसा नाजाने कितने क्षेत्र है जहाँ पानी की स्थिति बत्तर होती है। वहां पानी की कमी होती है। ऐसी अनगिनत बस्तियों के लिए बारिश का मौसम सबसे अधिक प्रिय होता है। यह लोग बारिश में पानी को किसी प्रकार से अपने घरों के बर्तनों टंकियों में इकठ्ठा करते हैं। उनके पास अलग अलग तरीके होते है। जैसे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम। इससे वह बारिश के पानी को इकठ्ठा कर पाते है। फिर पानी की कमी होने पर इस स्थिति में उसका उपयोग करते है। ऐसे ही जब कही सूखा पड़ जाता है, तब भी बारिश से लोगो की मदद होती है। इस मौसम में नदियां भी जलमग्न हो जाती है। सरकार द्वारा डैम में भी पानी इकठ्ठा किया जाता हैं। जिससे लोगो की मदद भी होती है। बारिश से जमा हुए पानी का इस्तेमाल अगले वर्ष आने वाली बारिश तक होता है। जितना पानी इकठ्ठा होता है वह मनुष्य पशु पक्षी सभी के काम आता है। इससे वातावरण भी पवित्र होता है। प्रदूषण भी कम होता है। साथ ही धरती के हर कोने की सिचाई हो जाती है।
वर्षा ऋतु के नुकसान- जिस तरह हर सिक्के के दो पहलू होते है ठीक वैसे ही हर चीज़ के फायदे व नुकसान दोनो होते हैं। कहते है कि किसी भी किसी चीज़ की अति होना घातक होता है। अर्थात किसी भी चीज़ का हद से ज़्यादा होना हानिकारक होता है। जी हां, ठीक इसी प्रकार बारिश का भी है। अगर अधिक मात्रा में पानी गिरता है, अधिक मात्रा में वर्षा होती है तब यह ऋतु घातक भी साबित हो सकती है। जब किसी क्षेत्र में कुछ ही समय मे काफी तेज बारिश होने से जगह जगह पानी भरा जाता है। लोगो के घरों के अंदर पानी प्रवेश कर जाता है। जिससे कई बस्तियां उजड जाती है। इसे प्राकृतिक आपदा भी बोला जाता है। जब अधिक मात्रा में पानी इकठ्ठा हो जाए जिससे हज़ारो घर डूब जाए, सड़क पर पानी जमा हो जाय उसे हम बाढ़ कहते है। किसी स्थान पर अधिक वर्षा होने से ऐसी स्थिति पैदा होती है।इसके नियंत्रण के लिए लोगो को पलायन भी करना पड़ता है। कई बार नदियां उफान पर भी आ जाती है। जिससे आस पास के लोग बेहद प्रभावित होते है। वर्षा ऋतु के बस यही कुछ नुकसान होते है।अधिक मात्रा में बारिश होने से कई बार किसानों की फसल भी बर्बाद हो जाती है।इसी तरह के नुकसान वर्षा ऋतु में देखे जाते है।
उपसंहार- वर्षा को नियंत्रण करना तो हमारे वश में नही है। परंतु तकनीकों के माध्यम से वैज्ञानिक इसके बारे में अनुमान लगा कर स्थिति को पहले से ही नियंत्रित करते है। वह पहले से ही लोगो को उस स्थान से हटा कर दूसरे स्थान पहुंचाते हैं जिससे किसी की जान को हानि न पहुंचे। इस दिशा में काम करने वाले संस्थान पहले से ही अनुमान लगा कर लोगो को सचेत कर उन्हें वहां से निकालते हैं। आई.एम.डी( इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट) व अन्य प्राइवेट डिपार्टमेंट इस दिशा में काम करते है। धीरे धीरे वह इसपर और बेहतर तरीके से काम करने का प्रयास कर रहे है। इस डिपार्टमेंट्स की मदद से लाखों लोगों की जान बचती है।
ऐसे तो वर्षा ऋतु मनमोहक होती है परंतु बाढ़ जैसी समस्याएं भी कई बार पैदा करती है। यह प्राकृतिक आपदाओं का अनुमान लगा कर लोगो की जान बचाने वाले संस्थानों का आमजन आभार प्रकट करते हैं। वे इस दिशा में सटीकता लाने के प्रयास में भी जुड़े हुए है।
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