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बाल मजदूरी पर निबंध – Essay on Child Labour in Hindi

Essay on Child Labour in Hindi : दोस्तों आज हमने बाल मजदूरी पर निबंध लिखा है क्योंकि हमारे देश में आज भी बाल मजदूरी बढ़ती ही जा रही है जिसके कारण बच्चे पढ़ लिख नहीं पा रही है और उन्हें अपना पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत करना पड़ रहा है.

यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि आज पढ़े लिखे हुए भारत में भी बच्चे बाल मजदूरी करने के लिए विवश है हमे इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी.

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Best Essay on Child Labour in Hindi 150 Words

जब भी 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से आमदनी कमाने के लिए होटलों, उद्योग धंधों, ढाबे, चाय की दुकान इत्यादि पर कार्य करवाया जाता है तो वह बाल मजदूरी की श्रेणी में आता है.

हमारे देश की आजादी के इतने सालों बाद भी बाल मजदूरी हमारे देश के लिए कलंक बना हुआ है हम आज भी यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि आज की सदी के भारत में भी हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे है.

बाल मजदूरी को बड़े लोगों और माफियाओं ने व्यापार बना लिया है जिसके कारण दिन प्रतिदिन हमारे देश में बाल श्रम बढ़ता जा रहा है और बच्चों का बचपन खराब हो रहा है. से बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है साथ में देश में गरीबी फैलती है और देश के विकास में बाधाएं आती है.

हमें बाल श्रम को जड़ से मिटाने के लिए कड़े कानून बनाने होंगे साथ ही स्वयं को भी जागरूक होना होगा तभी इस बाल मजदूरी के अभिशाप से छुटकारा पाया जा सकेगा.

Essay on Child Labour in Hindi 300 Words

किसी भी व्यक्ति के लिए बचपन ही सबसे अच्छा और सुनहरा वक्त होता है लेकिन जब बचपन में ही जिम्मेदारियों का बोझ नन्हे हाथों पर डाल दिया जाता है तो बचपन के साथ साथ उसकी पूरी जिंदगी खराब हो जाती है

क्योंकि बच्चों से उनके माता-पिता या अभिभावक कुछ चंद रुपयों के लिए कठिन कार्य करवाते है जिससे वह बच्चा पढ़ लिख नहीं पाता है और वह किसी नौकरी करने के योग्य भी नहीं रह पाता है इसलिए उसे मजबूरी वश जिंदगी भर मजदूरी करनी पड़ती है जिससे उसका पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत होता है.

बाल मजदूरी हमारे समाज और हमारे देश के ऊपर सबसे बड़ा कलंक है आज भले ही भारत के लोग पढ़े लिखे हैं लेकिन जब किसी बच्चे को मजदूरी करते हुए देखते है तो उसकी सहायता नहीं करते हैं सहायता करना तो दूर वे पुलिस या अन्य सरकारी संस्थाओं को इसकी जानकारी तक नहीं देते है.

किसी भी बच्चे के लिए बचपन में काम करना एक बहुत ही भयावह स्थिति होती है क्योंकि कभी कभी बच्चों के साथ कुछ ऐसे कृत्य हो जाते है जिससे उनकी पूरी जिंदगी तबाह हो जाती है.

जैसे जैसे देश की आबादी बढ़ती जा रही है वैसे वैसे ही बाल मजदूर भी बढ़ते ही जा रहे हैं इसे अगर जल्द ही रोका नहीं गया तो हमारे देश के लिए यह आने वाली सबसे बड़ी महामारी होगी.

हमारी भारत सरकार ने बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए कई कानून बनाए हैं लेकिन उनकी पालना नहीं होने के कारण सड़क के किनारे बने ढाबों, होटलों इत्यादि में आज भी बच्चे बाल मजदूरी कर रहे होते है लेकिन कोई भी उनकी तरफ ध्यान नहीं देता है.

हमें एक भारत के सच्चे नागरिक होने का कर्तव्य निभाना चाहिए जब भी आपको कोई बच्चा बाल मजदूरी करता हुआ दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने मैं उसके खिलाफ शिकायत करनी चाहिए जब तक हम स्वयं जागरुक नहीं होंगे तब तक सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों कि ऐसे ही अवहेलना होती रहेगी.

Bal Majduri Essay in Hindi 500 Words

रूपरेखा –

बाल श्रम हमारे देश और समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है आज समय आ गया है कि हमें इस विषय पर बात करने के साथ-साथ अपनी नैतिक जिम्मेदारियां भी समझनी होगी.

बाल मजदूरी को जड़ से उखाड़ फेंकना हमारे देश के लिए आज एक चुनौती बन चुका है क्योंकि बच्चों के माता-पिता ही आज बच्चों से बचपन में कार्य करवाने लगे है. आज हमारे देश में किसी बच्चे का कठिन कार्य करते हुए देखना आम बात हो गई है.

हम रोज हर चौराहे हर मोड़ पर बच्चों को कार्य करते हुए देखते हैं लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं जिसके कारण बाल मजदूरी को बढ़ावा मिलता है. यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि सिर्फ कुछ चंद रुपयों के लिए बच्चों के बचपन से खेला जा रहा है.

अगर इसे जल्द ही रोका नहीं गया तो बच्चों के भविष्य के साथ साथ देश का भविष्य भी डूब जाएगा.

बाल मजदूरी के कारण –

(1) बाल मजदूरी का सबसे बड़ा कारण हमारे देश में गरीबी का होना है गरीब परिवार के लोग अपनी आजीविका चलाने में असमर्थ होते हैं इसलिए वे अपने बच्चों को बाल मजदूरी के लिए भेजते है.

(2) शिक्षा के अभाव के कारण अभिभावक यही समझते हैं कि जितना जल्दी बच्चे कमाना सीख जाए उतना ही जल्दी उनके लिए अच्छा होगा.

(3) बाल श्रम का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि कुछ अभिभावक के माता पिता लालची होते हैं जोकि स्वयं कार्य करना नहीं चाहते और अपने बच्चों को चंद रुपयों के लिए कठिन कार्य करने के लिए भेज देते है.

(4) बाल श्रम को बढ़ावा इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि बच्चों को कार्य करने के प्रतिफल के रूप में कम रुपए दिए जाते हैं जिसके कारण लोग बच्चों को काम पर रखना अधिक पसंद करते है.

(5) बाल श्रम बढ़ने का एक कारण और भी है क्योंकि हमारे देश में लाखों की संख्या में बच्चे अनाथ होते हैं तो कुछ माफिया लोग उन बच्चों को डरा धमका कर भीख मांगने और मजदूरी करने भेज देते है.

(6) बाल श्रम को बड़ा मिलने का एक कारण यह भी है कि बाल श्रम पर बने कानून की पालना नहीं की जाती है.

बाल मजदूरी के समाधान –

(1) बाल मजदूरी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए में कड़े कानूनों का निर्माण करना होगा साथ ही उनकी सख्ती से पालना भी करवानी होगी.

(2) बाल मजदूरी को अगर खत्म करना है तो हमें लोगों को शिक्षित करना होगा साथ ही बच्चों की शिक्षा के लिए फ्री शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी.

(3) हम सबको जागरूक होना होगा क्योंकि जब तक हम बाल मजदूरी को देखते हुए भी अनदेखा करते रहेंगे तब तक बाल श्रम का यह कार्य यूं ही फलता फूलता रहेगा.

(4) हम सबको मिलकर लोगों की सोच बदलनी होगी क्योंकि ज्यादातर लोग सिर्फ पैसों के बारे में सोचते है उन्हें बच्चों के बचपन और देश के विकास से कोई मतलब नहीं होता है.

(5) बाल श्रम करवाने वाले लोगों के खिलाफ हमें शिकायत करनी होगी तभी जाकर बाल श्रम करवाने वाले माफियाओं पर शिकंजा कसा जा सकेगा.

(6) बच्चों को भी उनके अधिकार बताने होंगे क्योंकि पढ़ना लिखना उनका जन्मसिद्ध अधिकार होता है.

(7) हमारे देश से हमें गरीबी को हटाना होगा क्योंकि गरीबी बाल मजदूरी की मूल जड़ है.

निष्कर्ष –

बाल मजदूरी हमारे देश के लिए एक गंभीर समस्या है अगर जल्द ही इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया तो यह पूरे देश को दीमक की तरह खोखला कर देगी. बच्चे ही हमारे देश का भविष्य है अगर उन्हीं का बचपन अंधेरे और बाल श्रम में बीतेगा तो हम एक सुदृढ़ भारत की कल्पना कैसे कर सकते है.

अगर हमें नए भारत का निर्माण करना है तो बाल मजदूरी को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा यह सिर्फ हमारे और सरकार के सहयोग से ही संभव है.

Essay on Child Labour in Hindi 1800 Words

प्रस्तावना –

बाल मजदूरी एक बच्चे के बचपन के सबसे भयावह दिन होते है. हमारे देश का दुर्भाग्य है कि आज भी मकड़ी के जाल की तरह बाल श्रम छोटे-छोटे बच्चों को अपने जाल में जकड़ता जा रहा है और हम सब हाथ पर हाथ धरे हुए बैठे है.

बाल श्रम एक ऐसा दिन में जहर है जोकि चंद रुपयों के लिए बेच दिया जाता है यह जहर धीरे-धीरे बच्चे के बचपन को तबाह कर देता है इसके साथ ही देश का नव निर्माण करने वाला भविष्य भी खत्म हो जाता है.

हमारे भारत में बच्चों को भगवान स्वरूप माना जाता है लेकिन उन्हीं से उनका बचपन छीन लिया जाता है और हाथों में परिवार की जिम्मेदारियां थमा दी जाती है. सभी बच्चों का मन बचपन में खिलौने से खेलने और शिक्षा प्राप्त करने का होता है लेकिन क्या करें साहब कहीं लालच तो कहीं परिवार की जिम्मेदारियां सामने आ जाती है.

बाल श्रम क्या है –

भारत के सविधान 1950 के 24 वे अनुच्छेद के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी, कारखानों, होटलों, ढाबों, घरेलू नौकर इत्यादि के रूप में कार्य करवाना बाल श्रम के अंतर्गत आता है अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया जाता है तो उसके लिए उचित दंड का प्रावधान है.

लेकिन किताबी दुनिया से बाहर आकर देखे तो हमें हर दुकान हर मोड़ पर बाल मजदूरी करते हुए बच्चे देखने को मिलते है. हकीकत तो यह है कि लोग कानून की परवाह ही नहीं करते है इसी कारण दिन प्रतिदिन बाल श्रम बढ़ता ही जा रहा है.

2017 की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में 35 मिलियन से भी ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी करते है सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान में बाल मजदूरी होती है

बाल श्रम के कारण –

(1) शिक्षा की कमी – बाल मजदूरी का सबसे मुख्य कारण शिक्षा की कमी होना ही है क्योंकि जब तक लोग पढ़े लिखे हुए नहीं होंगे तब तक भी यही मानते रहेंगे की पैसों से बढ़कर कुछ नहीं होता है इसीलिए वे लोग अपने बच्चों को बचपन से ही मजदूरी के काम में लगा देते है.

(2) गरीबी – हमारे देश के लिए गरीबी एक बहुत बड़ी समस्या है जिसके कारण बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न होती है बाल श्रम भी गरीबी के कारण ही उत्पन्न हुई एक समस्या है क्योंकि गरीब परिवार के लोग अपने परिवार का सही-सही भरण पोषण नहीं कर पाते है इसलिए वे अपने बच्चों को भी मजदूरी के काम में झोक देते हैं

(3) अनाथ बच्चे – हमारे देश में आज भी कई लोग अपने बच्चों को या तो छोड़ देते हैं या फिर उनके माता पिता की मृत्यु हो जाती है जिसके कारण भी अनाथ हो जाते हैं और वह ऐसे लोगों के संपर्क में आ जाते हैं जो कि उन्हें खाने का लालच देकर पूरे दिन भर उनसे कारखानों, होटलों, ढाबों पर कार्य करवाते है और उनकी कमाई भी खुद रख लेते है.

(4) लालची लोग – आज 21 सदी के भारत में कुछ माता-पिता और अभिभावक पैसों के लिए इतने लालची होते हैं कि वे पैसों के लिए अपने बच्चों को भी मजदूरी के कार्य में लगा देते है.

(5) पारिवारिक मजबूरियां – कई बार बच्चों की पारिवारिक मजबूरियां भी होती है क्योंकि कुछ ऐसी दुर्घटनाएं हो जाती है जिसके कारण उनके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं रहता है इसलिए उन्हें मजबूरी वश बचपन में ही होटलों, ढाबों, चाय की दुकान, कल कारखानों में मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है.

(6) जनसंख्या वृद्धि – भारत में जनसंख्या वृद्धि दर बहुत तेजी से बढ़ रही है जिसके कारण जरूरत की वस्तुओं का मूल्य दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है जिसके कारण गरीब लोग अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाते है इसलिए वे अपने परिवार के सभी सदस्यों को मजदूरी करने दे देते है जिसमें बच्चे भी शामिल होते है इसलिए ना चाहते हुए भी बच्चों को परिश्रम करना पड़ता है.

(7) भ्रष्टाचार – बाल मजदूरी का एक कारण भ्रष्टाचार भी है तभी तो बड़े बड़े होटलों ढाबों और कारखानों पर उनके मालिक बिना किसी भय के बच्चों को मजदूरी पर रख देते है उन्हें पता होता है कि अगर पकड़े भी गए तो हम घूस देकर छूट जाएंगे इसीलिए भ्रष्टाचार बाल मजदूरी में एक अहम भूमिका निभाता है.

(8) बेरोजगारी – भारत में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है जिसके कारण कई गरीब लोग अपने परिवार की जीवन जीने योग्य जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाते है मजबूरन वे अपने बच्चों को मजदूरी के काम में लगा देते है वे सोचते हैं कि अगर थोड़ा बहुत भी पैसा घर में आता है तो वह तो वक्त का भोजन कर पाएंगे.

(9) उचित नियम कानून का ना होना – भारत सरकार ने बाल मजदूरी को रोकने के लिए कानून तो बनाए हैं लेकिन उन कानूनों में काफी खामियां है इसका फायदा उठाकर लोग बाल श्रम को अंजाम देते है और कई बार तो कानून का नियम पूर्वक पालन भी नहीं किया जाता है.

बाल श्रम के दुष्परिणाम –

(1) बचपन बर्बाद होना – जीवन का सबसे अच्छा पल बचपन ही होता है जब हम बच्चे होते हैं तो मैं किसी भी बात की चिंता नहीं रहती है हम खिलौने से खेलते हैं और सभी लोग हमें प्यार करते हैं साथ ही हम जो चाहे पढ़ सकते हैं

लेकिन जिन बच्चों को बाल मजदूरी के काम में लगा दिया जाता है वह कभी भी खेल नहीं पाते हैं और अपना मनचाहा काम नहीं कर पाते है. जिसके कारण उनका पूरा बचपन मसूरी काम करने में बीत जाता है.

(2) कुपोषण – बाल मजदूरी करने वाले बच्चे अक्सर कुपोषण का शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनके मालिक उनसे काम तो ज्यादा करवाते है लेकिन उन्हें खाने को कुछ भी नहीं देते है जिसके कारण उनके शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है और भी धीरे-धीरे कुपोषण के शिकार हो जाते है.

(3) शारीरिक शोषण – बाल मजदूरी करते समय कई बच्चे और बच्चियों का शारीरिक शोषण भी किया जाता है जोकि उनके ऊपर दोहरी मार है एक रिपोर्ट के अनुसार बाल मजदूरी करने वाले बच्चों में से लगभग 40% बच्चों का शारीरिक शोषण किया जाता है यह बहुत ही गंभीर बात है लेकिन इस पर कभी भी ध्यान नहीं दिया जाता है शारीरिक शोषण के समय कुछ बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है.

(4) मानसिक प्रताड़ना – मजदूरी करते समय बच्चों से अक्सर गलतियां होती रहती हैं गलतियां तो बड़े लोगों से भी होती है लेकिन बच्चों को डाट लगाना आसान होता है इसलिए उन से काम कराने वाले उनके मालिक उन्हें मानसिक प्रताड़ना देते है

उन्हें तरह-तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग करके बुलाया जाता है जो कि एक छोटे से बच्चे के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालती है. इसी के कारण काफी बड़े हो जाते है और बड़े होने पर गलत कार्यों में लिप्त हो जाते है.

(5) गरीबी बढ़ना – बच्चों के माता-पिता बचपन में तो कुछ रुपयों के लिए अपने बच्चों को मजदूरी पर लगा देते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि अगर वे पढ़ेंगे लिखेंगे नहीं तो उन्हें नौकरी नहीं मिल पाएगी और वे पूरी जिंदगी भर मजदूरी करनी पड़ेगी जिसके कारण उनका पूरा जीवन गरीबी में बीतेगा इसीलिए भारत में दिन प्रतिदिन करीब ही बढ़ती जा रही है.

(6) देश के आर्थिक विकास कमी – ज्यादातर गरीब परिवार के बच्चे पढ़ लिख नहीं पाते हैं इसी कारण वे अच्छी नौकरी नहीं कर पाते हैं और देश के विकास में सहयोग नहीं कर पाते हैं इसलिए देश का आर्थिक विकास भी धीमा पड़ जाता है.

(7) सामाजिक विकास में कमी – जहां पर बच्चों से मजदूरी कराई जाती है वहां के लोग अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं साथ ही उनका रहन-सहन भी अच्छा नहीं होता है जिसके कारण बच्चे भी उन्हीं के साथ रहने के कारण उनकी भाषा और उन्हीं के जैसा रहन सहन करने लग जाते हैं और उनकी मानसिक स्थिति भी कमजोर हो जाती है जिसके कारण एक अच्छे समाज का विकास नहीं हो पाता है.

बाल श्रम रोकथाम के उपाय –

(1) जागरूकता – बाल श्रम को अगर रोकना है तो हमें लोगों को जागरूक करना होगा क्योंकि जब तक लोगों में यह जागरूकता नहीं आएगी बच्चों से मजदूरी नहीं करवानी चाहिए और जो भी बच्चे मजदूरी कर रहे है. उनके मालिकों के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए लोगों को पता ही नहीं होता है कि वे जिस छोटू, मोटू को प्यार से बुला रहे है.

वह असल में बाल मजदूरी का शिकार है. इसलिए जब तक लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक ऐसे ही बच्चे मजदूरी करते रहेंगे.

(2) उचित शिक्षा व्यवस्था – हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था आज भी सुधर नहीं है जिसके कारण ग्रामीण इलाकों और बिछड़े हुए इलाकों के बच्चे आज भी पढ़ लिख नहीं पाते है जिसके कारण वह बचपन में ही बाल मजदूरी का शिकार हो जाते है इसलिए हमें उचित शिक्षा व्यवस्था सभी स्थानों पर उपलब्ध करवानी होगी और छोटे बच्चों के लिए फ्री शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी

(3) उचित कानून व्यवस्था – हमारे देश की कानून व्यवस्था अच्छी नहीं होने के कारण लोग इसका फायदा उठाते हैं और बाल श्रम जैसे कृत्यों को अंजाम देते है. हमें हमारी कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना होगा तभी जाकर हम बाल श्रम जैसी भयंकर परेशानियों से निपट पाएंगे.

(4) भ्रष्टाचार पर लगाम – भ्रष्टाचार के कारण बाल श्रम करवाने वाले अपराधी आसानी से छूट जाते हैं या फिर उन्हें गिरफ्तार ही नहीं किया जाता है जिसके कारण छोटे बच्चों को मजदूरी करनी पड़ती है इसलिए हमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगानी चाहिए.

(5) अच्छे और उदार व्यक्तियों की आवश्यकता – हमारे समाज में बहुत से अच्छे व्यक्ति हैं लेकिन हमें और अच्छे व्यक्तियों की आवश्यकता है जो कि कम से कम एक गरीब बच्चे की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठा सके क्योंकि जब तक हम हमारे समाज की जिम्मेदारी नहीं लेंगे तब तक कुछ नहीं हो सकता क्योंकि अकेली सरकार सब कुछ नहीं कर सकती है इसलिए हमें आगे बढ़कर गरीब बच्चों की पढ़ाई लिखाई में मदद करनी चाहिए.

बाल श्रम को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्य –

(1) The Child Labour (Prohibition and regulation) Act 1986 :बाल श्रम को जड़ से खत्म करने के लिए हमारी सरकार द्वारा 1986 में चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया गया है जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से कार्य करवाना दंडनीय अपराध माना जाएगा.

(2) The Juvenile Justice (Care and Protection) of Children Act of 2000 : इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति बच्चों से मजदूरी करवाता है या फिर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करता है तो उस पर दंड नहीं है कार्रवाई की जाएगी.

(3) The Right of Children to Free and Compulsory education Act, 2009 : यह कानून वर्ष 2009 में बनाया गया था जिसके अंतर्गत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी साथ ही प्राइवेट स्कूलों में भी गरीब और विकलांग बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित होंगी.

उपसंहार –

बाल मजदूरी हमारे भारत देश और हमारे समाज के लिए एक अभिशाप बन चुका है अगर जल्द ही इसे खत्म नहीं किया गया तो यह हमारे देश की तरक्की में बाधक होगा साथ ही जिन बच्चों को बचपन में हंसना खेलना और पढ़ाई करना चाहिए वह बच्चे हमें अधिक मात्रा में कठिन परिश्रम करते हुए मिलेंगे जिसे हमारा देश का भविष्य खराब हो जाएगा.

इसलिए हमें आज ही बाल श्रम के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और जहां पर भी कोई बच्चा हमें बाल मजदूरी करते हुए मिले उसकी शिकायत हमें नजदीकी पुलिस स्टेशन में करनी चाहिए.

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40+ बाल मजदूरी पर नारे – Slogans on Child Labour in Hindi

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Child Labour in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

16 thoughts on “बाल मजदूरी पर निबंध – Essay on Child Labour in Hindi”

Thank you hindi yatra aapne mujhe bohot help kiya mera project khatam karne kii….😄😄

Welcome Riya Johar

Haa mera bhi project khatam ho gaye

Bahut Acche Rishika

Aapne bahot acha likha hai sir ..I like it ki aapne kaise 150 words se 1800 words tak likha hai nyc thank you so much sir

welcome Akshita Dhariwal

Sir really apne bohot aacha likha hai. Thank you sir ye essay likhne ke liye mujhe bohot help mila hai ye essay se..😊

Diya ji parsnsha ke liye aap ka bahut bahut dhanyawad, aise hi hindi yatra par aate rahe.

Shrijana, aap ka bhut bhut dhanyawad. esi trah ke nibandh padhne ke liye hindiyatra par aate rahe.

Ye article mere Dil Ko Chu Gaya . Sir really aap ne bahut achha likha hai . ☺️

Really aap ne bahut achha likha hai sir . Mujhe ye article bahut achha laga .

Thank you Rohi for appreciation keep visiting hindiyatra.

Nice seeriya nibad

Thank you Devendra pratap Singh for appreciation.

Sir bahut mast article likha hai aapne apna skill aise hi badhate rahiye aur mehnat karte rahiye aap ek din jaroor top blogger me se ek kaho jaoge waise maine bhi ek blog banaya hai aap chahe to mera blog dekhkar comment me feedback de sakte hain Dhanyawad.

hum ne bhi aap ka blog dekha bhut accha laga, aap bhi bahut accha likh rahe hai, dhanyawad.

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बाल मजदूरी पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi)

बाल मजदूरी

किसी भी क्षेत्र में बच्चों द्वारा अपने बचपन में दी गई सेवा को बाल मजदूरी कहते है। इसे गैर-जिम्मेदार माता-पिता की वजह से, या कम लागत में निवेश पर अपने फायदे को बढ़ाने के लिये मालिकों द्वारा जबरजस्ती बनाए गए दबाव की वजह से जीवन जीने के लिये जरुरी संसाधनों की कमी के चलते ये बच्चों द्वारा स्वत: किया जाता है, इसका कारण मायने नहीं रखता क्योंकि सभी कारकों की वजह से बच्चे बिना बचपन के अपना जीवन जीने को मजबूर होते है। हमारे देश के साथ ही विदेशों में भी बाल मजदूरी एक बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में हर एक को जागरुक होना चाहिए।

बाल मजदूरी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Child Labour in Hindi, Bal Majduri par Nibandh Hindi mein)

बाल मजदूरी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

बाल मजदूरी बच्चों से लिया जाने वाला काम है जो किसी भी क्षेत्र में उनके मालिकों द्वारा करवाया जाता है। बचपन सभी बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है जो माता-पिता के प्यार और देख-रेख में सभी को मिलना चाहिए, ये गैरकानूनी कृत्य बच्चों को बड़ों की तरह जीने पर मजबूर करते है।

बाल मजदूरी का कारण

बाल मजदूरी के कई कारण है जिनमे अनाथ होना, माँ बाप या परिवार का गरीब होना, शिक्षा का अभाव आदि प्रमुख कारण है। बाल मजदूरी के लिए सरकार और अन्य सामाजिक तंत्र भी जिम्मेदार है। कानून व्यवस्था की गैरजिम्मेदारी भी इसका एक प्रमुख कारण है।

बाल मजदूरी का प्रभाव

बाल मजदूरी के कारण बच्चों के जीवन में कई सारी जरुरी चीजों की कमी हो जाती है जैसे- उचित शारीरिक वृद्धि और विकास, दिमाग का अल्प विकास, सामाजिक और बौद्धिक रुप से कमजोरी आदि। इसकी वजह से बच्चे बचपन के प्यारे लम्हों से दूर हो जाते है, जो हर एक के जीवन का सबसे यादगार और खुशनुमा पल होता है।

बाल मजदूरी का निवारण

सरकार को इसे जड़ से खत्म करने करने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए। जो अभिभावक और संस्था इसे बढ़ावा देती है, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। बच्चो की शिक्षा के लिए सरकार को पहल करना चाहिए।

हर माता-पिता को ये समझना चाहिए कि देश के प्रति भी उनकी कुछ जिम्मेदारी है। देश के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिये उन्हें अपने बच्चों को हर तरह से स्वस्थ बनाना चाहिए।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Child Labour in Hindi

Bal Majduri par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

5 से 14 साल तक के बच्चों का अपने बचपन से ही नियमित काम करना बाल मजदूरी कहलाता है। विकासशील देशों मे बच्चे जीवन जीने के लिये बेहद कम पैसों पर अपनी इच्छा के विरुद्ध जाकर पूरे दिन कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर है। वो स्कूल जाना चाहते है, अपने दोस्तों के साथ खेलना चाहते है और दूसरे अमीर बच्चों की तरह अपने माता-पिता का प्यार और परवरिश पाना चाहते है लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें अपनी हर इच्छाओं का गला घोंटना पड़ता है।

बाल मजदूरी भारत में बड़ा सामाजिक मुद्दा बनता जा रहा है जिसे नियमित आधार पर हल करना चाहिए। ये केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसे सभी सामाजिक संगठनों, मालिकों, और अभिभावकों द्वारा भी समाधित करना चाहिए। ये मुद्दा सभी के लिये है जोकि व्यक्तिगत तौर पर सुलझाना चाहिए, क्योंकि ये किसी के भी बच्चे के साथ हो सकता है।

विकासशील देशों में, खराब स्कूलिंग मौके, शिक्षा के लिये कम जागरुकता और गरीबी की वजह से बाल मजदूरी की दर बहुत अधिक है। ग्रामीण क्षेंत्रों में अपने माता-पिता द्वारा कृषि में शामिल 5 से 14 साल तक के ज्यादातर बच्चे पाए जाते है। पूरे विश्व में सभी विकासशील देशों में बाल मजदूरी का सबसे मुख्य कारण गरीबी और स्कूलों की कमी है।

बचपन हर एक के जीवन का सबसे खुशनुमा और जरुरी अनुभव माना जाता है क्योंकि बचपन बहुत जरुरी और दोस्ताना समय होता है सीखने का। अपने माता-पिता से बच्चों को पूरा अधिकार होता है खास देख-रेख पाने का, प्यार और परवरिश का, स्कूल जाने का, दोस्तों के साथ खेलने का और दूसरे खुशनुमा पलों का लुफ्त उठाने का। बाल मजदूरी हर दिन न जाने कितने अनमोल बच्चों का जीवन बिगाड़ रहा है। ये बड़े स्तर का गैर-कानूनी कृत्य है जिसके लिये सजा होनी चाहिये लेकिन अप्रभावी नियम-कानूनों से ये हमारे आस-पास चलता रहता है।

समाज से इस बुराई को जड़ से मिटाने के लिये कुछ भी बेहतर नहीं हो रहा है। कम आयु में उनके साथ क्या हो रहा है इस बात का एहसास करने के लिये बच्चे बेहद छोटे, प्यारे और मासूम है। वो इस बात को समझने में अक्षम है कि उनके लिये क्या गलत और गैर-कानूनी है, बजाए इसके बच्चे अपने कामों के लिये छोटी कमाई को पाकर खुश रहते है। अनजाने में वो रोजाना की अपनी छोटी कमाई में रुचि रखने लगते है और अपना पूरा जीवन और भविष्य इसी से चलाते है।

Child Labour Essay in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

अपने देश के लिये सबसे जरुरी संपत्ति के रुप में बच्चों को संरक्षित किया जाता है जबकि इनके माता-पिता की गलत समझ और गरीबी की वजह से बच्चे देश की शक्ति बनने के बजाए देश की कमजोरी का कारण बन रहे है। बच्चों के कल्याण के लिये कल्याकारी समाज और सरकार की ओर से बहुत सारे जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद गरीबी रेखा से नीचे के ज्यादातर बच्चे रोज बाल मजदूरी करने के लिये मजबूर होते है।

किसी भी राष्ट्र के लिये बच्चे नए फूल की शक्तिशाली खुशबू की तरह होते है जबकि कुछ लोग थोड़े से पैसों के लिये गैर-कानूनी तरीके से इन बच्चों को बाल मजदूरी के कुँएं में धकेल देते है साथ ही देश का भी भविष्य बिगाड़ देते है। ये लोग बच्चों और निर्दोष लोगों की नैतिकता से खिलवाड़ करते है। बाल मजदूरी से बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी देश के हर नागरिक की है। ये एक सामाजिक समस्या है जो लंबे समय से चल रहा है और इसे जड़ से उखाड़ने की जरुरत है।

देश की आजादी के बाद, इसको जड़ से उखाड़ने के लिये कई सारे नियम-कानून बनाए गये लेकिन कोई भी प्रभावी साबित नहीं हुआ। इससे सीधे तौर पर बच्चों के मासूमियत का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक तरीके से विनाश हो रहा है। बच्चे प्रकृति की बनायी एक प्यारी कलाकृति है लेकिन ये बिल्कुल भी सही नहीं है कि कुछ बुरी परिस्थितियों की वजह से बिना सही उम्र में पहुँचे उन्हें इतना कठिन श्रम करना पड़े।

भयंकर गरीबी और खराब स्कूली मौके की वजह से बहुत सारे विकासशील देशों में बाल मजदूरी बेहद आम बात है। बाल मजदूरी की उच्च दर अभी भी 50 प्रतिशत से अधिक है जिसमें 5 से 14 साल तक के बच्चे विकासशील देशों में काम कर रहे है। कृषि क्षेत्र में बाल मजदूरी की दर सबसे उच्च है जो ज्यादातर ग्रामीण और अनियमित शहरी अर्थव्यवस्था में दिखाई देती है जहाँ कि अधिकतर बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेलने और स्कूल भेजने के बजाए प्रमुखता से अपने माता-पिता के द्वारा कृषि कार्यों में लगाये गये है।

बाल मजदूरी का मुद्दा अब अंतर्राष्ट्रीय हो चुका है क्योंकि देश के विकास और वृद्धि में ये बड़े तौर पर बाधक बन चुका है। स्वस्थ बच्चे किसी भी देश के लिये उज्जवल भविष्य और शक्ति होते है अत: बाल मजदूरी बच्चे के साथ ही देश के भविष्य को भी नुकसान, खराब तथा बरबाद कर रहा है।

बाल मजदूरी एक वैशविक समस्या है जो विकासशील देशों में बेहद आम है। माता-पिता या गरीबी रेखा से नीचे के लोग अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर पाते है और जीवन-यापन के लिये भी जरुरी पैसा भी नहीं कमा पाते है। इसी वजह से वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए कठिन श्रम में शामिल कर लेते है। वो मानते है कि बच्चों को स्कूल भेजना समय की बरबादी है और कम उम्र में पैसा कमाना परिवार के लिये अच्छा होता है। बाल मजदूरी के बुरे प्रभावों से गरीब के साथ-साथ अमीर लोगों को भी तुरंत अवगत कराने की जरुरत है। उन्हें हर तरह की संसाधनों की उपलब्ता करानी चाहिये जिसकी उन्हें कमी है। अमीरों को गरीबों की मदद करनी चाहिए जिससे उनके बच्चे सभी जरुरी चीजें अपने बचपन में पा सके। इसको जड़ से मिटाने के लिये सरकार को कड़े नियम-कानून बनाने चाहिए।

Child Labour Essay

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बाल श्रम पर निबंध 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे (Child Labour Essay in Hindi)

essay on child labour in hindi

Child Labour Essay in Hindi – बाल श्रम का अर्थ है बच्चों को किसी भी तरह के काम में लगाना जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास को बाधित करता है, उन्हें उनकी बुनियादी शैक्षिक और मनोरंजक आवश्यकताओं से वंचित करता है। बड़ी संख्या में बच्चे विभिन्न खतरनाक और गैर-खतरनाक गतिविधियों जैसे कृषि क्षेत्र, कांच कारखानों, कालीन उद्योग, पीतल उद्योग, माचिस की फैक्ट्रियों और घरेलू मदद के रूप में काम करने के लिए मजबूर हैं। यह हमारे समाज पर एक धब्बा है और बच्चों की वृद्धि और विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने में हमारे समाज की अक्षमता के बारे में बहुत कुछ बताता है। 

बचपन को किसी के जीवन का सबसे अच्छा समय माना जाता है, लेकिन दुर्भाग्य से, यह कुछ बच्चों के लिए सच नहीं है, जो अपने बचपन के वर्षों में दोनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं। बाल श्रम परियोजना और 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 10.2 मिलियन बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं, जिनमें से 45 लाख लड़कियां हैं। 

इससे पहले, बच्चे अपने माता-पिता की खेती में बुनियादी कामों जैसे बुवाई, कटाई, कटाई, मवेशियों की देखभाल आदि में मदद करते थे। हालांकि, उद्योगों और शहरीकरण के विकास के साथ, बाल श्रम का मुद्दा बढ़ गया है। बहुत ही कम उम्र में बच्चों को विभिन्न अनुचित गतिविधियों के लिए नियोजित किया जाता है और उन्हें अपनी फुर्तीला उंगलियों का उपयोग करके खतरनाक सामान बनाने के लिए मजबूर किया जाता है। वे कपड़ा कारखानों, चमड़ा, आभूषण और रेशम उत्पादन उद्योगों में कार्यरत हैं। 

बाल श्रम निबंध 10 पंक्तियाँ (child labour essay 10 lines in Hindi)

  • 1) बाल श्रम से तात्पर्य बच्चों को आजीविका कमाने के लिए काम पर लगाने से है।
  • 2) यह उनकी स्कूल जाने की क्षमता को बाधित करता है और उन्हें एक तरह का खतरनाक और हानिकारक माहौल देता है।
  • 3) बाल श्रम का एक कारण गरीबी है, जहां बच्चे एक दिन की रोटी कमाने के लिए काम पर जाते हैं।
  • 4) बाल श्रम मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से खतरनाक और बच्चों के लिए हानिकारक है।
  • 5) बाल श्रम के तहत, बच्चे गुलाम बन जाते हैं, अपने परिवारों से अलग हो जाते हैं, और बंधुआ मजदूर के रूप में अपने मालिक के पास काम करते हैं।
  • 6) बाल श्रम उनके काम के माहौल में एक गंभीर मुद्दा है।
  • 7) बच्चे कृषि कार्यों, शिकार, वानिकी और मछली पकड़ने में भी शामिल होते हैं।
  • 8) औद्योगिक क्षेत्र में, वे खनन और उत्खनन, निर्माण, निर्माण और अन्य संबद्ध गतिविधियों में काम करते हैं।
  • 9) बच्चे सेवा क्षेत्र में भी संलग्न हैं जिसमें होटल और रेस्तरां, रियल एस्टेट, समुदाय के साथ-साथ सामाजिक सेवाएं भी शामिल हैं।
  • 10) बाल श्रम भी बाल श्रम को जन्म देने वाले कई देशों में चल रहे बाल तस्करी का परिणाम है

बाल श्रम निबंध 20 पंक्तियाँ (child labour essay 20 lines in Hindi)

  • 1) बाल श्रम का तात्पर्य बच्चों को छोटे-मोटे कामों में लगाना है।
  • 2) बाल श्रम बच्चों से पढ़ने और बढ़ने का अवसर छीन लेता है।
  • 3) गरीबी और अशिक्षा बाल श्रम के मुख्य कारण हैं।
  • 4) विकासशील और अविकसित देशों में समस्या अधिक गंभीर है।
  • 5) दुनिया भर के कई विधानसभाओं में बाल श्रम कानूनी नहीं है।
  • 6) बाल श्रम कृषि और असंगठित क्षेत्रों में अधिक प्रमुख है।
  • 7) दुनिया के सबसे गरीब देशों में लगभग 25% बच्चे बाल श्रम के रूप में काम कर रहे हैं।
  • 8) बच्चों को ज्यादातर उनके माता-पिता द्वारा परिवार की आय के पूरक के लिए नियोजित किया जाता है।
  • 9) कई समाजों में बच्चे बड़ों के रूप में काम करने में लगे रहते हैं।
  • 10) बच्चों को सामान्य से कम भुगतान किया जाता है और उन्हें प्रबंधित करना आसान होता है।
  • 11) बाल श्रम में शामिल बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
  • 12) ऐसे बच्चों के पास गरीब या बिल्कुल भी शिक्षा नहीं है और उनकी सामाजिक स्थिति खराब है।
  • 13) बाल श्रम एक काउंटी के वित्तीय और सामाजिक विकास में बाधा है।
  • 14) कांच बनाने वाले उद्योग और अन्य लघु उद्योग बच्चों के सबसे बड़े नियोक्ता हैं।
  • 15) अफ्रीका में बाल श्रम के रूप में नियोजित बच्चों का प्रतिशत सबसे अधिक है।
  • 16) किफायती स्कूल और अन्य सुविधाओं का अभाव भी बाल श्रम को बढ़ावा देता है।
  • 17) सस्ते श्रम और उच्च रिटर्न की बढ़ती आवश्यकता, असंगठित क्षेत्र को बच्चों को रोजगार देने के लिए आकर्षित करती है।
  • 18) नियमों और विनियमों के कारण पिछले दशकों में भारत में बाल श्रम में 64% तक की गिरावट आई है।
  • 19) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने बाल श्रम को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून बनाए हैं।
  • 20) कानून 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को लाभकारी रूप से नियोजित करने के लिए प्रतिबंधित करता है।

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बाल श्रम पर लघु निबंध (Short Essay On Child Labour in Hindi)

बाल श्रम एक प्रमुख मुद्दा है जो बच्चों के जीवन को नुकसान पहुंचाता है। कक्षा 3 के लिए निबंध लिखने में आपके बच्चे की मदद करने से उन्हें इस प्रमुख मुद्दे से अवगत होने में मदद मिलेगी।

बाल श्रम तब होता है जब बच्चों को पैसे के लिए काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, उनके बचपन के गौरवशाली दिनों को छीन लिया जाता है। यह हमारे देश में और कई अन्य विकासशील देशों और अविकसित देशों में भी एक बड़ा मुद्दा है। एक बच्चे को अपने दिन खेलने, पढ़ने, पौष्टिक भोजन खाने और अच्छा समय बिताने में उचित रूप से व्यतीत करना चाहिए। बाल श्रम का मुख्य कारण गरीबी है। पैसे कमाने के लिए बच्चों को उनके परिवारों द्वारा काम पर धकेल दिया जाता है। छोटे बच्चों को दुकानों, खेतों, खदानों, कारखानों में दैनिक वेतन भोगी के रूप में या यहां तक ​​कि घरों में घरेलू सहायिकाओं के रूप में काम करने के लिए कहा जाता है।

ये बच्चे कुछ पैसे कमाने के लिए काम करते हैं जब उन्हें स्कूल जाना चाहिए या अपने दोस्तों के साथ खेलना चाहिए। इन जगहों पर भुगतान कम होता है और काम करने का माहौल अक्सर बच्चों के लिए असुरक्षित और हानिकारक होता है। बाल श्रम एक बच्चे के मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक कल्याण को प्रभावित करता है। बच्चे अपने बचपन के दिनों को खो देते हैं और खामोशी से पीड़ित होते हैं। इस समस्या पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने बाल श्रम के खिलाफ कई कानून लाए हैं। हमें भी हर बच्चे को स्कूल जाने और शिक्षित होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बाल श्रम में शामिल न हों।

बाल श्रम निबंध 100 शब्द (Child labour Essay 100 words in Hindi)

बाल श्रम वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में बच्चों का उपयोग है। उन्हें उत्पादकों द्वारा न्यूनतम मजदूरी पर नियोजित किया जाता है, जो उन्हें हिंसा और किसी भी अन्यायपूर्ण गतिविधि के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है। उन्हें न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है और एक दिन में लगभग नौ घंटे काम करने के लिए कहा जाता है। उन्हें बाल श्रम में बदलने की प्रक्रिया आसान है। माता-पिता खुद चाहते हैं कि बच्चे ऐसी गतिविधियों में शामिल हों। ये माता-पिता खुद को बनाए रखने के लिए आवश्यक मूल आय उत्पन्न नहीं कर सकते हैं। माता-पिता असहाय हैं। हालांकि, कुछ माता-पिता बहुत अधिक बच्चे पैदा करने और इन कारखाने के मालिकों को अपना अंतिम बच्चा देने का बोझ नहीं उठाना चाहते हैं।

बाल श्रम निबंध 150 शब्द (Child labour Essay 150 words in Hindi)

हमारे देश में बाल श्रम गरीबी के दुष्चक्र की एक शाखा के रूप में उत्पन्न होता है। चक्र की शुरुआत निम्न स्तर के निवेश से होती है। भारत जैसे विकासशील देश में प्रति व्यक्ति आय कम है। इसका मतलब है कि अधिकांश लोगों को जीवन के पहले कुछ वर्षों तक जीवित रहने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है।

इससे उन्हें पोषण का स्तर कम मिलता है, और इसलिए हमारे देश में बाल श्रम की गुणवत्ता बहुत कम है। यह औसत से नीचे है, और श्रम अधिशेष अर्थव्यवस्था में ऐसे औसत से कम श्रम के साथ अच्छा बनाना कठिन है। इसने फिर से सबसे कम पैसे की आवश्यकता को बढ़ा दिया यदि समाज और वे अपने बच्चों को अपने लिए जीविकोपार्जन के लिए कठोर दुनिया में डाल देते हैं। इन बच्चों को अक्सर उन लोगों के हाथों जबरदस्त क्रूरता और दुर्व्यवहार का शिकार बनाया जाता है जो उन्हें काम पर रखते हैं। उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता है और बड़े पैमाने पर शिफ्ट में काम किया जाता है।

बाल श्रम निबंध 200 शब्द (Child labour Essay 200 words in Hindi)

भारत में बाल श्रम एक गंभीर समस्या रही है। कई पत्रों में लिखा गया है कि बाल श्रम ही अर्थव्यवस्था को एक और संतुलन में धकेलता है। यह संतुलन खराब है। दूसरा भी भारत जैसे विकासशील देश के लिए अच्छा नहीं है। संतुलन में काम न करने वाले बच्चे होते हैं; यह अर्थव्यवस्था को गरीबी के दुष्चक्र में रखता है। यदि सरकार निवेश के बिना चक्र को समाप्त नहीं कर सकती है। यह निवेश भी पर्याप्त होना चाहिए।

अधिकांश विकासशील देशों की सरकार के पास इतनी बड़ी निवेश आवश्यकताओं को अपने सामने रखने के साधन नहीं हैं। कई परिवार कम आय के जाल में फंस गए हैं। इन परिवारों के पास भोजन का निर्वाह स्तर और जीवित रहने के लिए प्रावधान नहीं हैं। ज्यादातर मामलों में माता-पिता भी बहुत मेहनत करते हैं। हालांकि, अलग-अलग बच्चों का अक्सर इन स्थितियों से अवैध व्यापार किया जाता है। उन्हें बंधुआ मजदूरी के रूप में बेचा जाता है और अधिक कठोर परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर किया जाता है। बच्चों के लिए स्थिति दर्दनाक हो जाती है। माता-पिता भी इन लापता बच्चों को कभी नहीं ढूंढ रहे हैं।

बाल श्रम निबंध 250 शब्द (Child labour Essay 250 words in Hindi)

बाल श्रम दुनिया भर में एक बहुत बड़ी अवधारणा है। प्रत्येक बच्चे को बाल श्रम के बारे में इसके कारणों और रोकथाम के बारे में जानना आवश्यक है। सबसे पहले, हमें यह समझना होगा कि बाल श्रम का वास्तव में क्या अर्थ है। यह अंशकालिक या पूर्णकालिक आधार पर आय के लिए बच्चों को विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में नियोजित या संलग्न करने का एक कार्य है।

आय, भोजन और सामाजिक सुरक्षा की कमी बाल श्रम जैसे अपराध को जन्म देती है। कम आय वाले परिवारों में यह स्थिति सबसे अधिक पाई जाती है। बचपन किसी के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है, जहाँ अपरिपक्वता और नटखटपन की भावना रेंगती है और प्रारंभिक अवस्था में बाल श्रम में लिप्त होना जीवन की सुंदरता को बर्बाद कर सकता है। अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई बाल श्रम की ललक को भड़काने वाले प्रमुख परिणामों में से एक है।

गरीब परिवार अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने बच्चों को कुछ रेस्तरां, दुकानों, घरों और स्थानों पर भेजते हैं जहां से उन्हें पैसे मिल सकते हैं। ये लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने या खेलने के लिए आज़ाद करने के बजाय चाहते हैं कि वे काम करें और अपने परिवार के लिए कमाएँ। काम पर, कुछ बच्चे वास्तव में भेदभाव, अशिष्ट व्यवहार और कभी-कभी शारीरिक हमले भी पाते हैं। यह वास्तव में परिपक्वता और आक्रामकता की भावना भी पैदा करता है, जहां एक बच्चा अपनी उम्र के बारे में सब कुछ भूल जाता है और एक पालतू जानवर के रूप में जीवन जारी रखता है।

आज भारत सरकार बाल श्रम के मामले में बहुत चौकस है। इसने कुछ ऐसे कानून विकसित किए हैं जो बाल श्रम के खिलाफ हैं जहां उम्र की सीमा है यानी कोई भी 18 साल से कम उम्र के बच्चे को काम पर नहीं रख सकता है। यदि कोई ऐसा करता है, तो उसे कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा, यहां तक ​​कि माता-पिता भी यदि वे अपने बच्चे को बाल श्रम के लिए मजबूर करते हैं। जिन बच्चों के पास अपनी स्कूल फीस भरने के लिए पैसे नहीं हैं, उन्हें शिक्षित करने के लिए सरकारी स्कूलों की स्थापना की गई है और इसे रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

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बाल श्रम निबंध 300 शब्द (Child labour Essay 300 words in Hindi)

भारत में बाल श्रम एक बड़ी समस्या है। यह एक अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय रहा है क्योंकि यह बच्चों के भविष्य को नुकसान पहुंचाता है, बिगाड़ता है और नष्ट करता है। यह गरीबी है जो एक बच्चे को अपने परिवार का समर्थन करने के लिए पैसे कमाने के लिए मजबूर करती है। हालांकि यह पूरे देश में प्रचलित है, लेकिन सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों जैसे यूपी, बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर पूर्वी राज्यों में समस्या गंभीर है। गरीबी के अलावा, शिक्षा की कमी और ऋण के सुलभ स्रोत गरीब माता-पिता को अपने बच्चों को बाल श्रम के रूप में संलग्न करने के लिए मजबूर करते हैं। एक विकासशील देश के रूप में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती इन बच्चों को पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है।

बाल श्रम एक बड़ी सामाजिक-आर्थिक समस्या है। बाल श्रम वास्तव में गरीब परिवारों की आय का जरिया है। बच्चे अनिवार्य रूप से घरों के आर्थिक स्तर को बनाए रखने के लिए काम करते हैं, या तो मजदूरी के रूप में, या घरेलू उद्यमों में या घर के कामों में मदद के रूप में। सभी गतिविधियों में मूल उद्देश्य परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। कुछ मामलों में, यह पाया गया है कि एक बच्चे की आय कुल घरेलू आय का 34 से 37 प्रतिशत के बीच होती है। एक गरीब परिवार की आजीविका के लिए बाल श्रमिक की आय महत्वपूर्ण है।

भारतीय धरती में कानून कहता है कि 14 साल से कम उम्र के किसी भी बच्चे को किसी कारखाने या कार्यालय या रेस्तरां में काम पर नहीं लगाया जा सकता है। वास्तव में भारत में बाल श्रम का उपयोग अक्सर उत्पादन और सेवा के विभिन्न स्थानों जैसे, लघु उद्योग, रेस्तरां सेवा, घरेलू सहायता, दुकानदार के सहायक, पत्थर तोड़ने, बुकबाइंडिंग, वास्तव में हर घरेलू उद्योग में किया जाता है।

बाल श्रम की समस्या का समाधान है: बाल श्रम कानूनों को सरकार द्वारा सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक बच्चे को स्कूल जाने का अवसर मिले।

बाल श्रम निबंध 500 शब्द (Child labour Essay 500 words in Hindi)

बाल श्रम वह प्रथा है जहां बच्चे आर्थिक गतिविधि, आंशिक या पूर्णकालिक आधार पर संलग्न होते हैं। यह प्रथा बच्चों को उनके बचपन से वंचित करती है और उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक है।

भारत के संविधान में मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में 14 वर्ष से कम उम्र के बाल श्रम को प्रतिबंधित किया गया है। बहुत दुख की बात है कि भारत दुनिया में सबसे अधिक बाल श्रमिकों का घर है। भारत सरकार ने हाल ही में बाल श्रम के सबसे खराब रूपों पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) कन्वेंशन 182 और रोजगार की न्यूनतम आयु पर कन्वेंशन 138 की पुष्टि की है। लगभग 4.3 मिलियन बच्चे एक दिन के श्रम के लिए जागते हैं और स्कूल नहीं जाते हैं और 9.8 मिलियन आधिकारिक तौर पर स्कूल से बाहर हैं।

बाल श्रम के सबसे बुरे रूप

बाल दासता (बच्चों की बिक्री और तस्करी, ऋण बंधन, और सशस्त्र संघर्ष के लिए जबरन भर्ती सहित), बाल वेश्यावृत्ति और अश्लील साहित्य में उनका उपयोग, नशीली दवाओं की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के लिए बच्चों का उपयोग, और किसी भी खतरनाक काम के संपर्क में आने की संभावना है बच्चों के स्वास्थ्य, सुरक्षा या नैतिकता को नुकसान पहुँचाने के लिए।

बाल श्रम के लिए जिम्मेदार कारण

गरीबी, सामाजिक सुरक्षा जाल की कमी, उचित शिक्षा की कमी, कोई वास्तविक और सार्थक विकल्प नहीं, कम भुगतान वाली अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का विकास – भारत में कठोर श्रम कानून और कई नियम हैं जो संगठित क्षेत्र के विकास को रोकते हैं, लड़कियां सबसे अधिक वंचित हैं और ऐसे बच्चों के पूरे वर्ग से वंचित।

बाल श्रम के परिणाम

काम करने वाले बच्चे आवश्यक शिक्षा प्राप्त करने में असफल हो जाते हैं। उन्हें शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से विकसित होने का अवसर नहीं मिलता है। ऐसे मामले में कौशल विकास हासिल करना मुश्किल है और परिणामस्वरूप मानव पूंजी की गुणवत्ता कम है। कई बार उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है और उन्हें भावनात्मक और यहां तक ​​कि शारीरिक रूप से भी प्रताड़ित किया जाता है। यह उनकी क्षमता को कमजोर करता है और कई बार उन्हें भविष्य के अपराधियों में बदल देता है।

बाल श्रम और इससे निपटने के साधनों का पता लगाने के लिए 1979 में गुरुपदस्वामी समिति का गठन किया गया था। इसकी सिफारिशों के अनुसार, बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 में अधिनियमित किया गया था। अधिनियम कुछ निर्दिष्ट खतरनाक व्यवसायों और प्रक्रियाओं में बच्चों के रोजगार पर रोक लगाता है और दूसरों में काम करने की स्थिति को नियंत्रित करता है। अधिनियम के तहत गठित बाल श्रम तकनीकी सलाहकार समिति की सिफारिश पर खतरनाक व्यवसायों और प्रक्रियाओं की सूची का उत्तरोत्तर विस्तार किया जा रहा है। उपरोक्त दृष्टिकोण के अनुरूप, 1987 में बाल श्रम पर एक राष्ट्रीय नीति तैयार की गई थी।

संसद ने बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2016 पारित किया जो 14 वर्ष तक के बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है, और 18 वर्ष तक के बच्चों को खतरनाक व्यवसायों में प्रतिबंधित करता है।

उदाहरण के लिए – खतरनाक व्यवसाय जैसे खदानें, ज्वलनशील पदार्थ, विस्फोटक और आतिशबाजी।

बाल श्रम की समस्या आज भी देश के सामने एक चुनौती बनी हुई है। समस्या की भयावहता और सीमा को ध्यान में रखते हुए और यह अनिवार्य रूप से एक सामाजिक-आर्थिक समस्या है जो गरीबी और निरक्षरता से अटूट रूप से जुड़ी हुई है, इस समस्या में सेंध लगाने के लिए समाज के सभी वर्गों के ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।

बाल श्रम पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

इन बाल मजदूरों को न्याय और राहत देने के लिए कौन सा संगठन देखता है.

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन बाल श्रम से संबंधित न्याय और राहत के साथ काम करता है।

बाल श्रम क्या है?

बाल श्रम वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए बच्चों का उपयोग है। यह श्रम का कोई भी रूप है जो बच्चे के मानसिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यह विकासशील देशों की सबसे जरूरी और तात्कालिक समस्याओं में से एक है।

किन देशों में बाल श्रम की गंभीर समस्या है?

यूक्रेन, स्वाज़ीलैंड, भारत और दक्षिण अमेरिका के कई हिस्सों में बाल श्रम की समस्या है। भारत भी इस सूची में शामिल है।

बड़े पैमाने पर बाल श्रम का कारण क्या है?

विकासशील देशों में गरीबी का दुष्चक्र।

  • Engineering and Architecture
  • Management and Business Administration
  • Medicine and Allied Sciences
  • Animation and Design
  • Media, Mass Communication and Journalism
  • Finance & Accounts
  • Computer Application and IT
  • Hospitality and Tourism
  • Competition
  • Study Abroad
  • Arts, Commerce & Sciences
  • Online Courses and Certifications

बाल श्रम पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi)- बाल श्रम अपराध है

बाल श्रम पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi) - हमारे देश में अक्सर यह देखने को मिलता है कि कई बच्चों को कृषि, उद्योग तथा घरेलू श्रम सहित विभिन्न प्रकार के खतरनाक तथा गैर-खतरनाक व्यवसायों में श्रम करने के लिए मजबूर किया जाता है। बाल मजदूरी (निषेध एवं नियमन) अधिनियम, 1986 के अनुसार, किसी कारखाने या खान के कार्य अथवा अन्य किसी जोखिमपूर्ण रोजगार में 14 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे को नियुक्त किया जाना, बाल श्रम के अंतर्गत आता है। कानून में कड़े प्रावधान के बावजूद हमारे देश में बाल श्रम एक गंभीर समस्या है। बच्चों से ऐसे काम कराना जिसके चलते वे बचपन का आनंद लेने, शिक्षा प्राप्त करने या व्यक्तिगत विकास का अनुभव करने के अवसर से वंचित होते हैं उसे बाल श्रम के रूप में जाना जाता है। यदि किसी कार्य को करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा है तो यह बाल-श्रम के दायरे में आता है। इस प्रथा को कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने शोषित करने वाली प्रथा माना है। बाल श्रम पर आधारित कुछ आदर्श निबंध इस लेख में उपलब्ध हैं।

बाल श्रम पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi)- बाल श्रम अपराध है

इस लेख में बाल श्रम पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi) के माध्यम से बाल श्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिससे गूगल या अन्य सर्चसाइट पर हिंदी में बाल श्रम पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi) ढूंढ रहे बच्चों को बाल श्रम पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi) लिखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा कई ऐसे छात्र भी होते हैं जिनकी हिंदी भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में बाल श्रम पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi) के इस लेख से उन्हें निबंध लिखने के तरीके को समझने व लिखने में सहायता प्राप्त होगी।

हालांकि विद्यार्थियों को सलाह दी जाती है कि वे बाल श्रम पर निबंध (Baal Shram par nibandh) को पूरा कॉपी करने से बचें तथा बाल श्रम के मर्म को समझ कर स्वयं से हिंदी में बाल श्रम पर निबंध (Essay on child labour in Hindi) लिखें। इससे उन्हें जीवन में बाल श्रम पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi) लिखने में फिर कभी किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

बाल श्रम पर निबंध हिंदी में (Child Labour Essay in Hindi) - बाल श्रम क्यों प्रतिबंधित है? (Why Is Child Labour Prohibited?)

बच्चों का इस तरह से रोजगार करना जो उन्हें बचपन का आनंद लेने, शिक्षा प्राप्त करने या व्यक्तिगत विकास का अनुभव करने के अवसर से वंचित करता है, बाल श्रम के रूप में जाना जाता है। यदि कोई व्यक्ति या संगठन बाल श्रम में लिप्त पाया जाता है, तो उनके विरुद्ध बाल श्रम के लिए बने कड़े कानूनों के अंतर्गत कार्यवाही का प्रावधान हैं, बाल श्रम के खिलाफ़ भारत जैसे कई देशों में कारावास और जुर्माने के मानक निर्धारित हैं।

यद्यपि बाल श्रम को रोकने के लिए कई नियम हैं, फिर भी हमें उन्हें लागू करने की आवश्यकता है। गरीबी के कारण बच्चों को काम करने और अपने परिवारों का समर्थन करने के लिए मजबूर किया जाता है।

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बाल मजदूरी पर निबंध (Essay on child labour in Hindi) - बाल श्रम पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Child Labour)

बाल मजदूरी को बच्चों द्वारा रोजगार के लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करने के रूप में परिभाषित किया गया है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालता है और उन्हें मूलभूत शैक्षिक और मनोरंजक जरूरतों तक पहुंच से वंचित करता है। एक बच्चे को आम तौर व्यस्क तब माना जाता है जब वह पंद्रह वर्ष या उससे अधिक का हो जाता है। इस आयु सीमा से कम के बच्चों को किसी भी प्रकार के जबरन रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है। बाल श्रम बच्चों को सामान्य परवरिश का अनुभव करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा के रूप में देखा जाता है। हालाँकि यह कुछ देशों में प्रतिबंधित है, फिर भी इसे पूरी तरह से समाप्त करने में अब तक सफलता नहीं मिल पाई है।

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बाल श्रम पर निबंध (Essay on child labour in Hindi) - बाल श्रम पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Child Labour)

भारत में बाल श्रम एक गंभीर समस्या है। इस समस्या का सबसे बड़ा कारण निर्धनता है। गरीब परिवारों के बच्चे अपने परिवार की आर्थिक सहायता के लिए पढ़ाई छोड़कर कारखानों, खेतों या होटल जैसे स्थानों पर काम करना पड़ता है।

बहुत से असंगठित लघु उद्योगों में रोजगार के लिए बच्चों को ही प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि उनकी पैसों की मांग औरों के मुक़ाबले बेहद कम होती है और उन्हें संभालना भी आसान होता है। कभी-कभी बच्चों के अपने परिवार वाले ही उन्हें बाल श्रम के लिए मजबूर कर देते हैं क्योंकि उनके पास पैसों की कमी होती है या वे उन्हें सुविधा प्रदान करने में असमर्थ होते हैं।

ये बच्चे अक्सर गरीब, अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में पलते हैं, जहां स्कूल या चिकित्सा देखभाल की बहुत कम पहुंच होती है। इन बच्चों को भी एकांत में रहने के लिए मजबूर किया जाता है और उन्हें खेलने, सामाजिक रूप से जुड़ने या दोस्त बनाने की अनुमति नहीं होती है। ऐसा जहरीला कार्यस्थल बच्चों के लिए चुनौतियों से भरा व बेहद मुश्किल होता है और यह अक्सर अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों में योगदान देता है। बच्चों के परिवार वाले इन बातों से अनजान होते हैं। ये बच्चे अक्सर ड्रग्स और अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने लगते हैं, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है।

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बाल श्रम पर निबंध हिंदी में (Child Labour Essay in Hindi) - बाल श्रम पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Child Labour)

बाल मजदूरों की या तो उनके देशों से तस्करी की जाती है या वे निराश्रित पृष्ठभूमि से आते हैं। वे पूरी तरह से अपने नियोक्ताओं की शक्ति पर आश्रित होते हैं और उन्हें किसी भी प्रकार की सुरक्षा प्राप्त नहीं होती है।

बाल श्रम पर निबंध हिंदी में (Child Labour Essay in Hindi) - बाल श्रम के कारण (Causes Of Child Labour)

यहाँ कुछ कारण दिए गए हैं जो बाल श्रम का कारण बनते हैं:

गरीबी - बाल श्रम एक ऐसी समस्या है जो गरीबी से बहुत प्रभावित है। कम आय वाले परिवारों में छोटे बच्चों को आय के अतिरिक्त स्रोत के रूप में देखा जाता है। इन बच्चों से उम्मीद की जाती है कि वे बड़े होने से पहले ही अपने माता-पिता के कर्तव्यों में मदद करेंगे।

निरक्षरता - इस समस्या को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण घटक निरक्षरता है। क्योंकि उन्हें अपने बच्चों से मजदूरी के रूप में प्राप्त होने वाली राशि से अधिक शिक्षा में निवेश करना पड़ता है, अशिक्षित माता-पिता शिक्षा को एक बोझ के रूप में देखते हैं। जो बच्चे मजदूरों के रूप में काम करते हैं वे अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों, देर तक काम करने के घंटों तथा अन्य कठिनाइयों के अधीन होते हैं जिनका उनके संज्ञानात्मक विकास पर तत्काल प्रभाव पड़ता है।

बंधुआ मजदूर - अनैतिक व्यवसाय जैसे बच्चों को वयस्कों के बजाय मजदूरों के रूप में उपयोग करना क्योंकि वे उनसे अधिक काम करवा सकते हैं और उन्हें प्रति घंटे कम भुगतान कर सकते हैं। पारिवारिक ऋण या दायित्व चुकाने के लिए बच्चों को इस प्रकार के बाल श्रम में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। बंधुआ मजदूरी के कारण, गरीब बच्चों को ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में घरेलू नौकर के रूप में काम करने, छोटे निर्माण घरों में, दुकानों में काम करने या बस सड़क पर भिखारी के रूप में रहने के लिए तस्करी की जाती है।

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हिंदी में बाल श्रम पर निबंध (Child Labour Essay in Hindi) - बच्चों को बाल श्रम से कैसे बचाएं? (How To Protect Children From Child Labour?)

बाल श्रम को खत्म करने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए समाज के कई पहलुओं की आवश्यकता होगी। सरकार की पहल और उसके कर्मियों की प्रभावशीलता सीमित है। इसलिए, हमें एक साथ आना चाहिए और बाल श्रम को रोकने के लिए सही दिशा में अपने प्रयासों को दिशा देनी चाहिए। बाल श्रम को रोकने के कुछ उपाय इस प्रकार हैं-

सूचना - आस-पास के रेस्तरां में भोजन करते समय या पड़ोस के बाजार में खरीदारी करते समय सावधान रहें। यदि आप किसी बच्चे को बाल श्रमिक के रूप में काम करते हुए देखते हैं, तो स्थानीय अधिकारियों को सूचित करें या चाइल्डलाइन 1098 पर कॉल करें।

कानून को जानें - बाल श्रम को रोकने के लिए पहला कदम बाल संरक्षण में संविधान की भूमिका को समझना है। कानूनों को जानने से आपको वह ज्ञान मिलता है, जो आपको खतरे से निपटने और बाल श्रम का उपयोग करने वालों को सतर्क करने के लिए आवश्यक है।

शिक्षित और जागरूक हो - दूसरों को इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में शिक्षित करके बाल श्रम से बचा जा सकता है, विशेष रूप से व्यापारिक नेताओं और नियोक्ताओं को। उनके साथ चर्चा करें कि बाल श्रम बच्चों के शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है, और उन्हें बताएं कि कानून और दंड क्या हैं।

माता-पिता के साथ बातचीत करें - यदि आप अपने क्षेत्र में किसी ऐसे माता-पिता के बारे में जानते हैं जो अपने बच्चे को एक युवा के रूप में काम करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, तो उनके माता-पिता से बात करें और उन खतरों के बारे में बताएं, जो बाल श्रम उनकी संतानों के भविष्य के लिए पैदा करते हैं और इस बात पर प्रकाश डालें कि शिक्षा और कौशल निर्माण कैसे उनके बच्चे के भविष्य की रक्षा कर सकते हैं।

स्कूलों में नामांकन - अपने समुदाय में, आप एक व्यवस्था स्थापित कर सकते हैं जो गली के बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करें। आप अपने क्षेत्र में पुस्तकालय और सामुदायिक शिक्षण केंद्र बनाने के लिए धन जुटाकर सीखने और स्व-शिक्षा में वंचित युवाओं की सहायता कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, आप माता-पिता को उनके बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने में मदद कर सकते हैं।

कोई देश तब तक आगे नहीं बढ़ सकता है, जब तक कि उसके बच्चे घोर गरीबी में जी रहे हों। कुछ उद्योगों में बच्चों के शोषण और रोजगार को रोकने के लिए इन क्षेत्रों की पहचान करना और आवश्यक कानून बनाना आवश्यक है। यह समाज और सरकार का साझा कर्तव्य होना चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं कि बाल मजदूरी पर निबंध (essay on child labour) विशेष इस लेख के माध्यम से आपकी सभी समस्याओं का समाधान हो गया होगा। यदि आपको बाल मजदूरी पर निबंध (essay on child labour in hindi) विशेष यह लेख पसंद आया, तो आप बाल मजदूरी पर निबंध (essay on child labour in hindi) विशेष लेख की ही तरह अन्य महत्वपूर्ण लेखों को भी पढ़ सकते हैं जिसका लिंक इस लेख में नीचे उपलब्ध है।

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Essay on Child Labour in Hindi- बाल मजदूरी पर निबंध (बाल श्रम)

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Essay on Child Labour in Hindi- बाल मजदूरी पर निबंध (बाल श्रम)

Essay on Child Labour in India in Hindi ( 150 words )

बाल श्रमिक का अर्थ है- किसी बच्चे का बचपन में ही मजदूर हो जाना। बच्चे कोमल होते हैं। पढ़ना-लिखना और निश्चित खेलना उनका मौलिक अधिकार है। बचपन में उनके कंधों पर कमाई-धमाई का बोझ नहीं डालना चाहिए। ऐसा करना उनके मौलिक अधिकार पर ही कठाराघात है। भारत एक गरीब देश है। यहाँ के निवासियों में से अनेक अभागे लोग दो समय का भोजन भी नहीं जुटा पाते। इस स्थिति में बच्चों के माँ-बाप उन्हें पैदा होते ही कमाने के लिए देते हैं। यह समस्या बहुत कठिन है। यह तब तक दूर नहीं हो सकती, जब तक कि देश से गरीबी और भुखमरी दूर नहीं होती। बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना, बचपन में शिक्षा को अनिवार्य बनाना, इसके लिए देश की मानसिकता तैयार करना तथा बाल-श्रमिकों पर सख्त कदम उठाना ही कुछ कारगर उपाय हो सकते हैं।

Speech on Child Labour in Hindi

Child Labour Essay in Hindi ( 200 words )

बाल मजदुरी आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है जिसके कारण देश का भविष्य अंधकार में हैं। बाल मजदुरी का अर्थ बच्चों से 14 साल से कम उम्र में काम करवाना है। हम बहुत सी दुकानों, सड़को, कारखानों और डाब्बों में बच्चों को काम करते हुए दिखते हैं जो कि गलत है। बाल मजदुरी के कारण बच्चों से उनका बचपन छीन जाता है। उनका सही रूप से शारूरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है। उन्हें बहुत से अत्याचार और यातनाओं का सामना करना पड़ता है। कारखानों की विष युक्त वातावरण में काम करने को कारण वह बीमार पढ़ जाते हैं और उनकी कम उमर में ही मृत्यु हो जाती है।

हर देश का भविष्य वहाँ के बच्चे होतें हैं और यदि वहीं स्वस्थ नहीं होगा और उनका पूर्ण विकास नहीं होगा तो देश प्रगति नहीं कर सकेगा। बाल मजदुरी को रोक हर बच्चे को उसका हक दिलाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए सरकार ने कानुन बनाया है कि किसी भी कार्यस्थल पर 14 साल की उमर से छोटे बच्चे को नहीं रखा जाऐगा। यदि कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो उसे सख्त से सख्त सजा दी जाऐगी। अगर हम भी व्यक्तिगत स्तर पर किसी बच्चे को बाल मजदुरी की समस्या से पीड़ित पातो हैं तो हमें उसकी सहायता करनी चाहिए और उन्हें उनका उज्जवल भविष्य देना चाहिए।

10 Lines on Child Labour in Hindi

Bal Majduri Essay in Hindi in 300 words

5 से 14 साल के बच्चों के द्वारा नियमित तौर पर काम करवाना बाल मजदूरी कहलाता है। बाल मजदूरी एक गैर कानूनी कार्य है जो उनके माता-पिता या उनके मालिक के द्वारा दबाव में करवाया जाता है। विकसित देशों में बच्चों को निम्न दरों पर घोर परिश्रम करवाया जाता है । बाल मजदूरी के कारण बच्चे अपना बचपन सही तरह से नहीं जी पाते हैं और इसका परिणाम उनके भविष्य पर पड़ता है । भारत के संविधान अनुसार सभी बच्चों को अपना बचपन जीने का अधिकार है। और इस अधिकार को कोई भी नहीं छीन सकता। अगर कोई उनका यह अधिकार छीनता है तो वह भारत के संविधान के खिलाफ होगा और उन पर कार्यवाही होगी। लेकिन 2011 के सेंसस के अनुसार भारत में कुल 1 करोड़ बच्चो से बाल मजदूरी करवाई जाती है। जो किसी भी विकसित या विकासशील देशों के लिए बहुत हानिकारक है।

बाल मजदूरी इन दिनों सामाजिक मुद्दा बनता जा रहा है और इसको हल करने के लिए सरकार पूरा प्रयास कर रही है। लेकिन यह दुश कार्य खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। इसका प्रभाव हमारे हमारे देश के भविष्य पे पड़ेगा ।

बाल मजदूरी का मुख्य कारण गरीबी और शिक्षण संस्थान की कमी है । बच्चों को गरीबी के अभाव में जीवन जीने के लिए बाल मजदूरी करनी पड़ती है तथा अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को पढ़ाई लिखाई की जगह कृषि कार्यों में लगा दिया जाता है। जिससे उनकी पढ़ाई को काफी नुकसान होता है।

हम सब मिलकर इस बाल मजदूरी को रोक सकते है। यदि सरकार, ग्रामीण तथा अन्य विकसित क्षेत्रों में शिक्षण संस्थान को बढ़ावा दें तो बच्चे पढ़ सकेंगे और अपना भविष्य बना सकेंगे। और धीरे-धीरे बाल मजदूरी कम होती जाएगी और एक समय ऐसा आएगा कि बाल मजदूरी इस देश से ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से समाप्त हो जाएगी।

Bal Shram Par Nibandh ( बाल श्रम पर निबंध 800 words)

बाल मजदूरी मानवता और समाज दोनों के लिए ही अभिशाप है । बचपन किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे यादगार भाग होता है । जब भगवान ने ही इसे इतना खूबसूरत बनाया है तो हमारा क्या अधिकार है की हम इसके साथ किसी भी प्रकार की छेड-छाड़ करें । एक अच्छा बचपन तो हर किसी का मौलिक अधिकार है । हर बच्चे को ये अधिकार तो होना ही चाहिए कि बचपन में वह दूसरे बच्चों के साथ खेल सके, स्कूल में शिक्षा ले सके, प्रकृति की सुन्दरता और अपने माँ-बाप के प्रेम का अनुभव कर सके ।

यह सब समझते और जानते हुए भी समाज का एक वर्ग अपने तुच्छ स्वार्थ और सोच की वजह से कुछ बच्चों का जीवन जहन्नुम बना देते हैं । उन्हें बाल मजदूर बना के उन से हर तरीके का मानवीय और अमानवीय कार्य कराते हैं और उनका बचपन हमेशा के लिए रौंद देते हैं ।

बाल मजदूरी को हम दो हिस्सों में बाँट सकते हैं । माता-पिता द्वारा कराई गयी मजदूरी और दूसरा समाज और अन्य लोगों कराई गयी मजदूरी । माँ-बाप द्वारा कराई गयी मजदूरी का ज़िक्र बड़े स्तर पर नहीं होता । जब माँ-बाप 5 से 14 साल की बच्चे पर परिवार की ज़िम्मेदारी के रूप में उन से बहुत से काम कराने लगते हैं, तो ये भी एक बाल-मजदूरी ही है । ऐसे माँ-बाप उन्हें बचपन में ही इतना बड़ा कर देते हैं की अपने जीने के सारे साधन उन्हें बचपन से ही जुटाने पड़ते हैं ।  जब कोई और बच्चे के प्रति कठोर होता है तो बच्चा फिर भी अपने मन को समझा लेता है, पर जब अपने ही लोग ऐसा व्यवहार करते है तो बच्चे के मानस पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है । बहुत दूर से पानी भर के लाना, रस्सियों पर नाच करवाना, सर्कस में काम करवाना, घर के साफ़-सफाई, खाना बनाने आदि का काम करवाना, खेत में काम करवाना, ये सब इसी वर्ग में आते हैं ।

दूसरे तरह की बाल-मजदूरी समाज द्वारा कराई जाती है । अनाथ बच्चों या गरीब बच्चों को कुछ व्यापारी लोग अपने स्वार्थ के लिए काम पर रख लेते हैं और फिर उन से तरह-तरह के काम करवाते हैं जैसे चूड़ी और कांच बनाना, कूड़ा करकट साफ़ कराना, दुकान के सब काम कराना आदी । किस-किस तरह के वीभत्स और शारीरिक व्याधि उत्पन्न करने वाले कार्य इन बच्चों से कराये जाते हैं इसकी फ़ेहरिस्त बहुत लम्बी है ।

भारत में बाल-मजदूर की दशा बहुत ही दयनीय है और इसका त्वरित समाधान बहुत आवश्यक है । भारत ही नहीं, ज़्यादातर विकसित देशों में बाल-मजदूरों की संख्या बहुत ज्यादा है । ऐसा इसलिए है क्योंकि वहां पर विस्तृत स्तर पर गरीबी, भुखमरी तथा शिक्षा और स्कूली शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी है । हालांकि, आज़ादी के बाद से देश में बाल-मजदूरी को कम करने के लिए बहुत से नियम और क़ानून बनाए गए हैं परन्तु अभी तक वह सब अपने उद्देश्य तक नहीं पहुँच पाए है ।

सिर्फ नीतियाँ और कानून बाल- मजदूरी के अभिशाप को हटाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं । हमें खुद भी जागरूक होना होगा और इस जागरूकता को और भी फैलाना होगा । बाल मजदूरी रोकने के उपाय ( Solution of Child Labour in Hindi ), जैसे –

1. कुछ ऐसे संगठन बनाएं जो बाल-मजदूरी को रोकने के लिए प्रयासरत रहे । 2. लोगों में और खासतौर से माँ-बाप में इस बात की जागरूकता बाधाएं की कैसे बचपन में बच्चों की शिक्षा जरूरी और अनिवार्य है । 3. समाज में बाल-मजदूरी से होने वाले दुशप्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ायें और इसके रोकथाम के उपाय उन्हें बताएं । 4. प्रारम्भिक शिक्षा को हर स्तर पर मुफ्त करें ताकि गरीब से गरीब बच्चा शिक्षा पा सके । 5. लोगों को छोटा परिवार रखने के लिए प्रेरित करें । 6. सरकारी योजनाओं का लाभ हर किसी को मिले ये सुनिश्चित करें । 7. जो भी लोग बाल-मजदूरी को बढ़ावा दें उन्हें कठोर रूप से दण्डित कर समाज में ये सन्देश दें की ये एक बहुत बड़ा अक्षम्य अपराध है । 8. देश में रोजगार के अधिक से अधिक अवसरों का सृजन करें ।

सार: बाल-मजदूरी एक दंडनीय अपराध है । इसे किसी भी प्रकार से बढ़ावा ना दें । बच्चे प्रकृति की अद्भुत और अनमोल देन हैं, इनके बचपन से ना खेलें । क्या कोई भी देश, शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से अक्षम बच्चों के साथ तरक्की कर सकता है? स्वयं विचार कीजिए और अपने देश को बचाइये ।

# Baal Mazdoori Par Nibandh

Slogans on Child Labour in Hindi

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1 thought on “Essay on Child Labour in Hindi- बाल मजदूरी पर निबंध (बाल श्रम)”

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Very good Achhi suggetion tha Ab kyu kuch bhi kiya

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बाल मजदूरी पर निबंध Essay on Child Labour in Hindi (1000W)

बाल मजदूरी पर निबंध Essay on Child Labour in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में बाल मजदूरी पर निबंध (Essay on Child Labour in Hindi) 1000 शब्दों में लिखा है जिसमे हमने प्रस्तावना,बाल श्रम का प्रारंभ,अशिक्षित वर्ग,बाल मजदूरी के कारण, भारत के सविधान मे व्यवस्था,बाल मजदूरी एक वयस्क समस्या,बाल मजदूरी को रोकने के उपाय के बारे मे बताया है।

Table of Contents

प्रस्तावना (बाल मजदूरी पर निबंध Essay on Child Labour in Hindi) 

किसी भी क्षेत्र में बच्चों द्वारा आपने बचपन में दी गई सेवा को बाल मजदूरी कहते हैं। जिम्मेदार माता-पिता की वजह से, या कम लागत में निवेश पर अपने फायदे को बढ़ाने के लिए मालिकों द्वारा जबरदस्ती बनाए गए दबाव की वजह से जीवन जीने के लिए जरूरी संसाधनों की कमी  के चलते यह बच्चों द्वारा स्वत: किया जाता है, इसका कारण मायने नहीं रखता क्योंकि सभी कारकों की वजह से बच्चे बिना बचपन के अपना जीवन जीने को मजबूर होते हैं।

बचपन सभी के जीवन में विशेष और खुशी का पल होता है जिसमें बच्चे प्रकृति प्रियजनों और अपने माता पिता के जीवन जीने का तरीका सीखते हैं। सामाजिक बौद्धिक शारीरिक और मानसिक सभी दृष्टिकोण से बाल मजदूरी बच्चों की वृद्धि और विकास में बाधा का काम करती है।

बाल श्रम का इतिहास History of Child Labour in Hindi

बाल श्रम का प्रारंभ है औद्योगिक की क्रांति की शुरुआत से ही मानी जाती है। कार्ल मार्क्स ने कम्युनिस्ट घोषणापत्र में मौजूदा स्वरूप में बाल श्रम की बात कही थी। 1990 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोमालिया को छोड़कर अन्य सभी देशों  ने बाल अधिकार सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए।

बाल मजदूरी भारत में बड़ा सामाजिक मुद्दा बनता जा रहा है। जिसे नियमित आधार पर हल करना चाहिए। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसे सभी सामाजिक संगठनों, मालिकों और अभिभावकों द्वारा भी सम्मानित करना चाहिए।

यह मुद्दा सभी के लिए है जो कि व्यक्तिगत तार पर सुलझाना चाहिए, क्योंकि यह किसी के भी बच्चे के साथ भी हो सकता है।

अशिक्षित वर्ग Illiterate class in Hindi

भारत में जनसंख्या का एक बड़ा वर्ग अशिक्षित है, जिसके दृष्टिकोण में शिक्षा ग्रहण करना अधिक आवश्यक है धन कमाना जिससे बाल श्रम को बढ़ावा मिलता है। बड़ा और संयुक्त परिवार होने से परिवार के कम ही लोगों को रोजगार मिल पाता है। फलस्वरूप बच्चों को काम करने के लिए विवश होना पड़ता है।

इसके अतिरिक्त समाज के स्वार्थी तत्व और गलत तरीके से अधिक हितों की पूर्ति करने वाले व्यवसायिक संगठनों के द्वारा जानबूझकर प्रतिकूल स्थिति पैदा कर दी जाती है, ताकि उन्हें सस्ती मजदूरी पर बिना विरोध के काम करने वाले बाल श्रमिक आसानी से मिल जाए।

बाल मजदूरी के कारण Reasons Behind Child Labour in Hindi

  • गरीबी के कारण गरीब माता-पिता अपने बच्चे को घर- घर और दुकानों में काम करने के लिए भेजते हैं।
  • दुकान और छोटे व्यापारी भी बच्चों से काम तो बड़े लोगों की जितना ही करवाते हैं परंतु दाम उनसे आधा देते हैं क्योंकि वह बच्चे हैं।
  • व्यापार में उत्पादन लागत कम लगने के लोभ में भी कुछ व्यापारी बच्चों का जीवन बर्बाद कर देते हैं।
  • बच्चे बिना किसी लोग के मन लगाकर काम करते हैं।

भारत के संविधान में व्यवस्थाएं Arrangements in the Constitution of India in Hindi

  • बाल श्रम को रोकने या हतोत्साहित करने के लिए विभिन्न अवस्थाएं की गई हैं जैसे 14 वर्ष से कम उम्र के किसी बालक को कारखाने में काम करने के लिए या किसी जोखिम वाले रोजगार में नियुक्त नहीं किया जाएगा।
  • (धारा 24), बाल्यावस्था और किशोरावस्था को शोषण तथा नैतिक एवं भौतिक परित्यक्ता से बताया जाएगा।
  • (धारा 39Af), संविधान के प्रारंभ होने से 10 वर्ष की अवधि में सभी बालकों की, जब तक वे 14 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं कर लेते हैं राज्य निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करने का प्रयत्न करेगा।

वर्ष 1987 में राष्ट्रीय बाल श्रम नीति तैयार की गई, जिसके अंतर्गत जोखिम भरे व्यवसाय में कार्यरत बच्चों के पुनर्वास पर जोर दिया गया।

वर्ष 1986 में उच्चतम न्यायालय द्वारा  दिए गए उस फैसले ने बालश्रम के विरुद्ध कार्रवाई में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसमें संघिय एवं राज्य सरकारों को जोखिम भरे  व्यवसायों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने एवं शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।

 केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 28 अगस्त 2012 को बाल श्रम अधिनियम 1986 में संशोधन की मंजूरी दी गई।

  •  इस अधिनियम में संशोधन के द्वारा गैर जोखिम भरे कार्य में भी 14 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों को काम पर लगाने पर  पूर्णत: प्रतिबंध लगाया गैया है।
  •  इस अधिनियम के अनुसार 14 से 18 वर्ष के बच्चों को किशोरावस्था की श्रेणी में रखा गया और जोखिम वाले उद्योग धंधों में काम करने वालों की न्यूनतम 18 वर्ष कर दी गई।
  •  इसमें बाल श्रम का संगे अपराध कानून के उल्लंघन करने वाले की सजा 1 वर्षों से बढ़कर 2 वर्ष साथ-साथ जुर्माना की रकम 20,000 से बढ़कर 50,000 कर दी गई।

इन सब के बावजूद भी आज हमारे देशों में बाल श्रमिकों की संख्या आज भी करोड़ों में है।

बाल मजदूरी एक बड़ी समस्या Child labour an big problem in Hindi

बाल मजदूरी एक व्यस्त समस्या है जो विकासशील देशों में बेहद आम है। माता पिता यह गरीबी रेखा से नीचे के लोग अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च बाहर नहीं कर पाते हैं और जीवन यापन के लिए जरूरी पैसा भी नहीं कमा पाते हैं।

इसी वजह से वह अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय कठिन श्रम में शामिल कर लेते हैं। वे मानते हैं कि बच्चों को स्कूल भेजना समय की बर्बादी है और कम उम्र में पैसा कमाना परिवार के लिए अच्छा होता है। बाल मजदूरी के बुरे प्रभावों से गरीबी के साथ साथ अमीर लोग को भी तुरंत अवगत कराने की जरूरत है।

उन्हें हर तरह के साधनों की उपलब्धता कराने चाहिए जिनकी उन्हें कमी है। अमीरों को गरीबों की मदद करनी चाहिए जिससे उनके बच्चे सभी जरूरी चीजें अपने बचपन में पा सके। इसे जड़ से मिटाने के लिए सरकार को कड़े नियम और कानून बनाने चाहिए।

बाल मजदूरी को रोकने के उपाय Measures to Stop Child Labour in Hindi

बाल मजदूरी के लिए मजबूत तथा कड़े नियम कानून  बनाने चाहिए जिससे कोई भी बाल मजदूरी करवाने से डरे। आम आदमी को भी बाल मजदूरी के विषय में जागरूक होना चाहिए और अपने समाज में होने से रोकना चाहिए।

गरीब माता-पिता को भी अपने बच्चों की शिक्षा में पूरा ध्यान देना चाहिए क्योंकि आज सरकार मुफ्त शिक्षा खाना और कुछ स्कूलों में दवाइयों जैसे चीजों की भी सुविधा प्रदान की है।

कारखानों और दुकानों के लोगों को प्रण लेना चाहिए कि वह किसी भी बच्चे से मजदूरी नहीं करवाएंगे और काम करवाने वाले लोगों को रोकेंगे।

निष्कर्ष Conclusion

वास्तव में हम सोचते हैं कि इस तरह की सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने का सिर्फ सरकार का दायित्व है। सब कुछ कानूनों के पालन एवं कानून भंग करने वालों को सजा देने में सुधार जाएगा, लेकिन यह असंभव है।

हमारे ढाबों में, होटलों में अनेक  प्रकार के श्रमिक मिल जाएंगे जो कड़ाके की ठंड से या तपती धूप की परवाह किए  बगैर काम करते हैं।बाल मजदूरी को रोकने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना होगा।

आशा करती हूं आप सभी को बाल मजदूरी पर यह निबंध पर बनाया होगा यदि आपको इसी तरह की जानकारी प्राप्त करनी है तो हमारे साथ जुड़े रहिए।

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Child Labour Essay In Hindi

बाल मजदूरी पर निबंध – Child Labour Essay In Hindi

बाल मजदूरी पर छोटे तथा बड़े निबंध (short and long essay on child labour in hindi), बाल श्रमिक और शोषण – child labour and exploitation.

संकेत बिंदु –

  • बाल श्रमिक कौन
  • बाल श्रमिक की दिनचर्या
  • गृहस्वामियों व उद्यमियों द्वारा शोषण
  • सुधार हेतु सामाजिक एवं कानूनी प्रयास।।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

बाल श्रमिक कौन – 14 वर्ष से कम आयु के मजदूरी या उद्योगों में काम करने वाले बालक आते हैं। खेलने-कूदने और पढ़ने की उम्र में मेहनत-मजदूरी की चक्की में पिसता देश का बचपन समाज की सोच पर एक कलंक है। हाबों, कारखानों और घरों में अत्यन्त दयनीय स्थितियों में काम करने वाले ये बाल-श्रमिक देश की तथाकथित प्रगति के गाल पर एक तमाचा हैं। इनकी संख्या लाखों में है।

बाल श्रमिक की दिनचर्या – इन बाल श्रमिकों की दिनचर्या पूरी तरह इनके मालिकों या नियोजकों पर निर्भर होती है। गमी हो, वो या शीत इनको सबेरे जल्दी उठकर काम पर जाना होता है। इनको भोजन साथ ले जाना पड़ता हैं या फिर मालिकों की दया पर निर्भर रहना पड़ता है। इनके काम के घंटे नियत नहीं होते। बारह से चौदह घण्टे तक भी काम करना पड़ता है। कुछ तो चौबीस घण्टे के बँधुआ मजदूर होते हैं। बीमारी या किसी अन्य कारण से अनुपस्थित होने पर इनसे कठोर व्यवहार यहाँ तक कि निर्मम पिटाई भी होती है।

गृहस्वामियों व उद्यमियों द्वारा शोषण – घरों में या कारखानों में काम करने वाले इन बालकों का तरह-तरह से शोषण होता है। इनको बहुत कम वेतन दिया जाता है। काम के घण्टे नियत नहीं होते। बीमार होने या अन्य कारण से अनुपस्थित होने पर वेतन काट लिया जाता है। इनकी कार्य-स्थल पर बड़ी दयनीय दशा होती है।

सोने और खाने की कोई व्यवस्था नहीं होती है। नंगी भूमि पर खुले आसमान या कहीं कौने में सोने को मजबूर होते हैं। रूखा-सूखा या झूठन खाने को दी जाती है। बात-बात पर डाँट-फटकार, पिटाई, काम से निकाल देना तो रोज की कहानी है।

यदि दुर्भाग्य से कोई नुकसान हो गया तो पिटाई या वेतन काट लेना आदि साधारण बातें हैं। वयस्क मजदूरों की तो यूनियनें हैं जिनके द्वारा वह अन्याय और अत्याचार का विरोध कर पाते हैं किन्तु इन बेचारों की सुनने वाला कोई नहीं। केवल इतना ही नहीं मालिकों और दलालों द्वारा इनका शारीरिक शोषण भी होता है।

सुध तु सामाजिक एवं कानूनी प्रयास – बाल श्रमिकों की समस्या बहुत पुरानी है। इसके पीछे गरीबी के साथ ही माँ बाप का लोभ और पारिवारिक परिस्थिति कारण होती है। इस समस्या से निपटने के लिए सामाजिक और शासन के स्तर पर प्रयास आवश्यक हैं।

सामाजिक स्तर पर माँ-बाप को बालकों को शिक्षित बनाने के लिए समझाया जाना आवश्यक है। इस दिशा में स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। सरकारी स्तर पर बाल श्रम रोकने को कठोर कानून बनाए गए हैं।

लेकिन उनका परिपालन भी सही ढंग से होना आवश्यक है। विद्यालयों में पोषाहार एवं छात्रवृत्ति आदि की सुविध गएँ दिया जाना, बाल श्रमिकों के माता-पिता की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जाना आदि प्रयासों से यह समस्या समाप्त हो सकती है।

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Essay on Child labour in Hindi - बाल मजदूरी एक अभिशाप पर निबंध हिंदी में

बाल मजदूरी एक अभिशाप पर निबंध: बाल मजदूरी एक ऐसी सामाजिक समस्या है, जो न केवल बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बनाती है, बल्कि देश के विकास को भी बाधित कर

Essay on Child labour in Hindi  - बाल मजदूरी एक अभिशाप पर निबंध हिंदी में

बाल मजदूरी एक अभिशाप पर निबंध: बाल मजदूरी एक ऐसी सामाजिक समस्या है, जो न केवल बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बनाती है, बल्कि देश के विकास को भी बाधित करती है। बाल मजदूरी का अर्थ है बच्चों को उनके बाल्यकाल में शारीरिक या मानसिक श्रम में लगाना, जिससे उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और समग्र विकास प्रभावित होता है। बाल मजदूरी का बच्चों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव होता है और यह समस्या समाज के नैतिक मूल्यों पर भी सवाल खड़े करती है।

भारत जैसे विकासशील देश में बाल मजदूरी एक प्रमुख मुद्दा है, जहां लाखों बच्चे अपने परिवार की गरीबी या अन्य सामाजिक कारणों के चलते मजदूरी करने को मजबूर होते हैं। यह समस्या केवल शारीरिक शोषण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों के अधिकारों के हनन का भी प्रतीक है।

बाल मजदूरी के कारण

सामाजिक असमानता और जातिवाद भी इस समस्या को बढ़ाते हैं। वंचित वर्गों के बच्चों को अक्सर ऐसी परिस्थितियों में डाल दिया जाता है, जहां उन्हें कम वेतन पर कठोर श्रम करना पड़ता है। इसके अलावा, बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता की कमी, कानूनों का सही ढंग से लागू न होना, और औद्योगिक क्षेत्रों में सस्ते श्रमिकों की मांग भी बाल मजदूरी को बढ़ावा देती हैं।

बाल मजदूरी को रोकने की आवश्यकता

बाल मजदूरी न केवल बच्चों के व्यक्तिगत विकास को रोकती है, बल्कि समाज के लिए भी हानिकारक है। एक ऐसा समाज, जहां बच्चे मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं, कभी भी अपने आर्थिक और सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकता। यह समस्या देश की उत्पादकता को भी प्रभावित करती है, क्योंकि अशिक्षित और कुपोषित बच्चे भविष्य में एक कुशल श्रमिक या जिम्मेदार नागरिक नहीं बन सकते।

भारत में बाल मजदूरी की स्थिति

हालांकि, भारत सरकार ने बाल मजदूरी को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत में बाल मजदूरी (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 लागू है, जो 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को काम पर लगाने पर रोक लगाता है। इसके अलावा, 2016 में इस अधिनियम में संशोधन कर इसे और अधिक कठोर बनाया गया। इसके तहत अब 14 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को खतरनाक उद्योगों में काम करने से मना किया गया है।

इसके अलावा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 ने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की है। यह कानून बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करती है और बाल मजदूरी को कम करने में सहायक है।

बाल मजदूरी के प्रभाव

बाल मजदूरी बच्चों को शिक्षा से वंचित कर देती है, जिससे उनका भविष्य अनिश्चित हो जाता है। अशिक्षा के कारण ये बच्चे गरीबी के दुष्चक्र में फंसे रहते हैं और उन्हें कभी भी बेहतर अवसर नहीं मिल पाते। इसके साथ ही, बाल मजदूरी बच्चों को अपराध और शोषण के रास्ते पर धकेल सकती है, जहां वे जीवन भर संघर्ष करते रहते हैं।

बाल मजदूरी को रोकने के उपाय

अशिक्षा को समाप्त करने के लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार आवश्यक है। इसके लिए स्कूलों में बुनियादी ढांचे और शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार करना चाहिए। साथ ही, बच्चों के माता-पिता को यह समझाने के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए कि शिक्षा बच्चों के जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है।

सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बाल मजदूरी निषेध कानूनों का कड़ाई से पालन हो। खतरनाक उद्योगों में बच्चों को काम पर लगाने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

सामाजिक संगठनों और गैर-सरकारी संस्थाओं को भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। वे बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, समुदायों को भी बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और इस समस्या को जड़ से खत्म करने में योगदान देना चाहिए।

निष्कर्ष

यदि हम गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक असमानता को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाते हैं, तो बाल मजदूरी का अंत स्वतः ही हो जाएगा। बच्चों को मजदूरी के बजाय शिक्षा, खेल और खुशहाल जीवन का मौका देना ही इस समस्या का स्थायी समाधान है। समाज का हर व्यक्ति, हर परिवार, और हर संस्था यदि इस दिशा में प्रयास करे, तो एक ऐसा दिन अवश्य आएगा, जब भारत बाल मजदूरी से मुक्त होगा।

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